IT Act 2000 in Hindi – आईटी एक्ट 2000 क्या है?

IT Act 2000 का पूरा नाम Information Technology act 2000 होता है। इसको ITA 2000 भी कहते है। यह भारत का Cyber Law है जिसे जिसे 17 अक्टूबर 2000 को लागू किया गया था। यह कानून डिजिटल दुनिया में होने वाले अपराधों को रोकने और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन (E-Transactions) को सुरक्षित बनाने के लिए बनाया गया था।

IT Act 2000 के तहत दंडनीय अपराध

अपराधसजा
हैकिंग (Hacking)3 साल की जेल + ₹2 लाख तक जुर्माना
डेटा चोरी (Data Theft)3 साल की जेल + ₹5 लाख तक जुर्माना
वायरस अटैक (Virus Attack)3 साल की जेल + ₹2 लाख तक जुर्माना
आईडेंटिटी थेफ्ट (Identity Theft)3 साल की जेल + ₹1 लाख तक जुर्माना
साइबर टेररिज्म (Cyber Terrorism)उम्रकैद
ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online Fraud)3 साल की जेल + जुर्माना
पोर्नोग्राफी फैलाना (Publishing Obscene Content)5 साल की जेल + ₹10 लाख तक जुर्माना

IT Act 2000 में संशोधन

2008 में IT Act 2000 में कुछ बदलाव किए गए, जिन्हें IT Act 2008 कहा जाता है। इसमें नए साइबर अपराधों को शामिल किया गया और सजा को बढ़ा दिया गया।

मुख्य बदलाव:

  • Cyber stalking और cyber bullying को अपराध माना गया।
  • सोशल मीडिया पर गलत Content पोस्ट करने के लिए धारा 66A जोड़ी गई (बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे हटा दिया)।
  • बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट फ्रॉड पर सख्त नियम बनाए गए।

इसे पढ़ें:Cyber Crime क्या है और इसके प्रकार

निष्कर्ष:-

हम सभी इन्टरनेट में बहुत सारी activities करते है जैसे:- ब्राउज़िंग, selling, surfing आदि. तो इन सभी को सुरक्षित करने के लिये एक act बनाया गया जिसे हम IT act 2000 कहते है. इस act के तहत आपको इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के प्रावधान क्या है, नियम क्या है बताये गये है.

आजकल हमारे सभी काम electronically होता है पहले हम verbal कम्युनिकेशन करते थे. परन्तु हम आजकल e communication (जैसे- फेसबुक, whatsapp, ट्विटर आदि) करते है, पहले सामान दुकान में जाकर खरीदते थे परन्तु आज e commerce वेबसाइट (जैसे:- amazon, snapdeal) से खरीद लेते है. और हमारी governance भी e-governance हो गयी है.

लेकिन इसका नेगेटिव पार्ट यह है कि जो अपराधी है वह इसका इस्तेमाल अपराध (cyber crime) करने के लिए करते है तो उनके लिये एक law बनाया गया है जिसे हम IT act 2000 कहते है तथा इसमें बहुत से प्रावधान है.

IT act में 13 भाग तथा 90 अनुभाग है. तथा यह इंडियन पैनल कोड, 1860, इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872, बैंकर्स बुक एविडेंस एक्ट, 1891, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट, 1934 आदि पर आधारित है।

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