amplifier क्या है और इसके प्रकार क्या है?

इस पोस्ट में हम what is amplifier in Hindi (एम्पलीफायर क्या है और ये काम किस प्रकार करता है?) के बारें में पढेंगे. तथा इसके प्रकार क्या क्या होते है इसके बारें में भी जानेंगे. यह बहुत ही महत्वपूर्ण topic है तो आप इसे पूरा पढ़िए इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा है. तो चलिए शुरू करते है:-

Amplifier in Hindi – एम्पलीफायर (प्रवर्धक) क्या है?

Amplifier (एम्पलीफायर) एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि एक signal के वोल्टेज, तथा धारा (current) को बढ़ा देता है.
सरल शब्दों में कहें तो, “amplifier सिग्नल की strength (शक्ति) को बढ़ा देता है. यह एक weak electrical signal को strong signal में बदल देता है.”

एम्पलीफायर एक two port इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जो कि electric power का प्रयोग input terminals में स्थित सिग्नल के amplitude (आयाम) को बढ़ाने के लिए करता है और जिससे हमें आउटपुट में अधिक बड़ा amplitude signal प्राप्त होता है.

किसी amplifier की amplification (प्रवर्धन) की मात्रा को हम उसके gain से मापते है. एम्पलीफायर एक ऐसा सर्किट है जिसका power gain एक से बड़ा होता है.

एम्पलीफायर transistors से बना हुआ होता है. transistors की खोज से पहले vacuum tubes का प्रयोग किया जाता था.

amplifiers का प्रयोग वायरलेस कम्युनिकेशन तथा ब्राडकास्टिंग आदि में किया जाता है. आजकल इसका प्रयोग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में किया जाता है.

characteristics of amplifier in Hindi (एम्पलीफायर की विशेषतायें)

एम्पलीफायर की quality को कुछ specification के आधार पर मापा जाता है जो कि निम्नलिखित है:-

  • bandwidth (बैंडविड्थ) – यह एक frequency range होती है जिसमें एम्पलीफायर कार्य कर सकता है
  • noise – यह आउटपुट में प्राप्त unwanted अतिरिक्त सूचना (information) होती है.
  • skew rate – यह आउटपुट के बदलाव का अधिकतम rate होता है.
  • gain – यह input तथा output signals के magnitude का अनुपात (ratio) होता है.
  • stability – यह नियत तथा विश्वसनीय output प्रदान करने की ability होती है.
  • efficiency – यह भी बहुत important characteristics है. यह input में दिए गये power तथा output power का अनुपात है.

types of amplifier in Hindi (एम्पलीफायर के प्रकार)

वैसे तो amplifiers बहुत प्रकार से वर्गीकृत किये जाते है. परन्तु हम यहाँ 4 basic प्रकारों को पढेंगे जो निम्नलिखित है:-

  • current amplifier – जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है, वह एम्पलीफायर जो input signal के current को amplify कर देता है.
  • voltage amplifier – वह एम्पलीफायर जो दिए गये इनपुट सिग्नल के वोल्टेज को बढ़ा देता है. अर्थात् amplify कर देता है उसे वोल्टेज एम्पलीफायर कहते है.
  • trans-conductance amplifier – वह एम्पलीफायर जो input voltage में बदलाव के अनुसार output current में बदलाव करता है. trans-conductance एम्पलीफायर कहलाता है.
  • trans-resistance amplifier – वह एम्पलीफायर जो input current में बदलाव के अनुसार output current में बदलाव करता है. इसे current-to-voltage converter भी कहते है.

यहाँ पर हमने इसके basic प्रकार पढ़ लिए है इसके कुछ अन्य प्रकार भी होते है जिन्हें कार्य, अनुप्रयोगों तथा विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है तो चलिए इन्हें भी पढ़ते है.

power amplifier in Hindi (पॉवर एम्पलीफायर क्या है)

वह एम्पलीफायर जो कि दिए गये input signal की power के magnitude को बढ़ा देता है. पॉवर एम्पलीफायर कहलाता है. इसका प्रयोग डिवाइसों जैसे- speakers, headphones, RF transmitters आदि में किया जाता है. इस power को watt (W) में मापा जाता है.

power amplifiers का मुख्य मकसद इनपुट सिग्नल की power (शक्ति) बढ़ाना होता है जिससे कि आउटपुट में high power प्राप्त हो.

इसके प्रकार भी बहुत ही important है जिनको हम नीचे पढेंगे.

operational amplifiers (op-amps) in Hindi

यह एक integrated circuit (IC) होता है जो कि voltage amplifier की तरह कार्य करता है. इसका प्रयोग resistors तथा capacitors आदि में किया जाता है.

सामन्यतया एक operational amplifier में तीन terminals होते है जिसमें दो high input टर्मिनल होते है. इसमें एक input को inverting input कहते है जिसे negative या minus (-) sign से दर्शाते है.
दूसरे इनपुट को non inverting input कहते है जिसे positive या plus (+) चिन्ह के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है.

operational amplifier in hindi
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advantage of operation amplifiers (op-ams) in hindi (ऑपरेशनल एम्पलीफायर के लाभ)

इसके लाभ निम्नलिखित है:-

  • इसका input impedance बहुत ही उच्च (high) होता है.
  • इनका output impedance बहुत ही निम्न (low) होता है.
  • इसमें सभी प्रकार के कार्यों को करने की ability (क्षमता) होती है. जैसे- adder, subtractor, multiplier तथा V to I converter आदि.
  • इसमें gain बहुत ही ज्यादा होता है.
  • इन्हें आसानी से प्रयोग किया जा सकता है.

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Valve (vacuum tube) amplifiers in Hindi

यह एम्पलीफायर signal की power या amplitude को बढ़ाने के लिए vacuum tubes का प्रयोग करता है. इनका प्रयोग radar, military, high power radio तथा transmitter में किया जाता है. इनका प्रयोग guitar तथा satellite transponders में भी किया जाता है.

transistor amplifiers in Hindi

इसमें transistor का प्रयोग सिग्नल को amplify करने के लिए करता है. इस amplifier का प्रयोग RF (radio frequency), audio, तथा OFC (optical fibre communication) आदि में किया जाता है. लेकिन आजकल transistors का सबसे ज्यादा प्रयोग audio amplifier की तरह किया जाता है.

Klystron

यह एक विशेष प्रकार का linear beam vacuum tube होता है जिसका प्रयोग उच्च radio frequencies में एम्पलीफायर की तरह किया जाता है.

instrument amplifiers

ये विशेष प्रकार से निर्मित amplifiers होते है. जिनका प्रयोग sound, music, तथा voice को amplify करने के लिए किया जाता है. इसका प्रयोग मुख्यतया musical instrument में किया जाता है.

video amplifier (विडियो एम्पलीफायर)

ये power tuners होते है जिनको ज्यादातर सभी विडियो formats की picture quality को बढ़ाने के लिए डिजाईन किया जाता है.

types of power amplifiers in hindi (पॉवर एम्पलीफायर के प्रकार)

इसके प्रकार निम्नलिखित है:-

1:- class A power amplifier

जब collector current, सिग्नल के पूरे चक्र (cycle) के समय तक प्रभावित (flow) होता है तब उसे class A power amplifier कहते है. अर्थात् collector current सिग्नल के पूरे चक्र के समय में सिग्नल को amplify करते रहता है. यह सबसे ज्यादा सरल तथा सामान्य प्रकार का power amplifier है.

इसकी हानि यह है कि सामान्यतया इसको हम high power applications में प्रयोग नहीं कर सकते है.

इसकी विशेषताएं निम्नलिखित है:-

  • इसका डिजाईन सरल होता है
  • इसमें low signal distortion levels होते है.
  • यह stable होता है
  • इसमें उच्चतम linearity होती है.

2:- Class B power amplifier

जब collector current, इनपुट सिग्नल के half cycle (आधे चक्र) तक ही बहता है. तब उसे claas B power amplifier कहते है.
अर्थात् ये amplifiers केवल input के आधे cycle तक ही amplify होते है.

इसके characteristics निम्न है:-

  • यह दो transistors का प्रयोग करता है एक positive cycle के लिए तथा दूसरा negative cycle के लिए.
  • इसमें efficiency अधिक होती है.
  • इसमें heat output बहुत कम होता है.
  • यह stable तथा reliable है.
  • यह 0.7v से conduct होना शुरू हो जाता है.
  • इसमें दो half cycles से एक पूरी cycle बनती है.

3:- class AB power amplifiers

जैसे कि नाम से ही पता लग रहा है, यह class A तथा class B power amplifiers के combination से बना हुआ होता है. इसमें भी 2 transistors का प्रयोग किया जाता है परन्तु ये दोनों एक ही समय पर run होते है.

इसकी विशेषतायें निम्नलिखित है:-

  • इसमें दो transistors एक साथ कार्य करते है.
  • इसमें class A तथा class B दोनों की विशेषतायें होती है.
  • यह 50-60% तक efficient है.

4:- class C power amplifiers

जब collector current, इनपुट सिग्नल के आधे cycle से भी कम में प्रभावित (flow) होता है तब उसे class C power amplifier कहते है.

इसकी विशेषतायें निम्नलिखित है:-

  • यह सबसे कम linear होता है.
  • यह सबसे ज्यादा efficient होता है लगभग 80-90%.
  • इसमें high output distortion होता है.
  • इनमे दो operating modes होते है.- tuned तथा untuned.
  • इसमें शक्ति का नुकसान कम होता है.

amplifier’s history in Hindi (एम्पलीफायर का इतिहास)

सबसे पहली डिवाइस जो amplify कर सकती थी वो थी triode vacuum tube, इसे 1906 में Lee De forest ने विकसित किया था.

1960-70 के दशक तक vacuum tubes का प्रयोग सभी amplifiers में किया जाता था. इसके बाद transistors ने vacuum tubes का स्थान ले लिया.

आजकल लगभग सभी amplifiers में transistors का प्रयोग किया जाता है. परन्तु कुछ में अभी भी vacuum tubes का प्रयोग किया जाता है.

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