4GT Model in Hindi – 4GT मॉडल क्या है? – Software Engineering

आज हम software engineering में what is 4GT model in Hindi (4GT मॉडल क्या है और इसके फायदे नुकसान) के बारें में पढेंगे। मैंने पहले से ही सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के notes डाले हुए है आप उन्हें भी पढ़ लीजियेगा.

what is 4GT model in Hindi 

4GT का पूरा नाम fourth generation technique से है. यह NPL (non-procedural language) तकनीक पर आधारित है.

4GT model के द्वारा सॉफ्टवेर developer अपनी इच्छा के अनुसार source codes को automatically जनरेट कर सकता है.

4GT मॉडल में बहुत सारें software tools होते है जो कि codes को automatically जनरेट करते है.

इस model का निर्माण software को develop करने में लगने वाले time, effort तथा cost को कम करने के लिए किया गया है.

यह मॉडल छोटे projects के लिए बहुत अच्छा है परन्तु बड़े projects के लिए यह अच्छी approach नहीं है.

4GT Tools  

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए 4GT model में निम्नलिखित tools है:-

  1. Report generation
  2. Database query language
  3. High level graphics
  4. Code generation
  5. Data manipulation
  6. Web engineering tools
  7. Screen definition and interaction

Characteristics of 4GT model in Hindi – 4GT की विशेषताएं

इसकी विशेषतायें निम्नलिखित है:-

1:- इसके द्वारा developer अपने specification के आधार पर codes को generate करता है.

2:- इसमें design तथा testing में ज्यादा समय लगता है जिससे productivity बढती है.

3;- tools का प्रयोग करना थोडा मुश्किल होता है और जो codes जनरेट होते है वे efficient नहीं होते.

4:- इसके द्वारा सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग high level पर software के characteristics को specify कर सकता है.

Advantage of 4GT model in Hindi – 4GT मॉडल के फायदे

इसके लाभ निम्नलिखित है:-

1:- यह programming की process को सरल बनाता है.

2:- यह non-procedural language का प्रयोग करता है जिससे users और programmers जैसा product चाहते है वैसा specify कर पाते है.

3:- program को maintain करना आसान होता है.

4:- सॉफ्टवेयर को तेजी से develop किया जा सकता है.

5:- इसका प्रोग्राम portable होता है,

6:- ये flexible होता है अर्थात् software के डिजाईन को आसानी से modify किया जा सकता है.

Disadvantage of 4GT model in Hindi – इसके नुकसान

इसके नुकसान नीचे दिए गये हैं:-

1;- बड़े projects के लिए प्रभावी approach नहीं है.

2:- programs को execute करने में CPU को अधिक समय लगता है अर्थात इन programs की गति धीमी होती हैं.

Phases of 4GT model in hindi – 4GT मॉडल के फेज

इसमें 4 phases होते है:-

  1. requirements gathering
  2. design
  3. implementation
  4. testing
4gt model in hindi
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requirement gathering;- हर model की तरह इसमें भी पहला फेज requirement को gather करना होता है. वैसे तो requirements को customer से इक्कठा किया जाता है परन्तु customer अच्छी तरह sure नहीं होता है कि उसकी requirements क्या है इसलिए इसमें बहुत सारें methods का प्रयोग करके requirements को gather किया जाता है.

design:- जितनी भी हमने requirements को इक्कठा किया है उनका एक presentation तैयार की जाती है. जो कि data structure, algorithm procedures, तथा architecture को describe करती है.

implementation:- यह तीसरा phase है इसमें design presentation को एक artificial language में बदल दिया जाता है जो कि पूरा कंप्यूटर के द्वारा होता है. कंप्यूटर automatically codes को generate करता है.

testing:- यह इसका अंतिम phase है. इसमें develop किये गये सॉफ्टवेयर को test किया जाता है और अगर इसमें कोई गलती निकलती है तो उसका सुधार किया जाता है.

निवेदन:- अगर आपको यह post helpful लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ share करें तथा अपने सवाल comment करके पूछिए. धन्यवाद.

4 thoughts on “4GT Model in Hindi – 4GT मॉडल क्या है? – Software Engineering”

  1. Thank you so much sir your notes is awesome for the last time study Nd I really gain knowledge to read this I just like it well done sir….

    Thanks

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