Modulator in hindi – मॉडूलेटर क्या है और इसके प्रकार

hello दोस्तों! आज मैं आपको इस पोस्ट में what is modulator in hindi (मॉडूलेटर क्या है?) और इसके प्रकार के बारें में विस्तार से बताऊंगा तो चलिए start करते हैं:-

what is Modulator in hindi (मॉडूलेटर क्या है?)

Modulator  एक ऐसी डिवाइस होती है जो modulation करती है. modulation में किसी waveform (carrier सिग्नल) की एक या अधिक गुणों को modulating सिग्नल (इसमें सूचना रहती है) के साथ combine कर के ट्रांसमिट कर दिया जाता है.

modulation से कोई पिक्चर , voice , संगीत, या कोई डाटा को carrier सिग्नल के साथ modulate कर transmit किया जाता है.

इसे पढ़ें:- मॉडूलेशन क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है?

types of modulator in hindi (मॉडूलेटर के प्रकार)

  1. AM modulator
  2. FM modulator

AM modulator

AM modulator का उपयोग एक कम फ्रीक्वेंसी के carrier सिग्नल को ज्यादा फ्रीक्वेंसी के carrier सिग्नल में मिलाने के लिए होता है. इस मॉडूलेटर में carrier सिग्नल का amplitude (आयाम) message सिग्नल की तरह बदला जाता है.

AM modulator types

  1. collector
  2. base
  3. square law

collector मॉडूलेटर

collector modulator एक linear power एम्पलीफायर होता है जो निम्न स्तर के modulating सिग्नल को उच्च power स्तर में amplify करता है.

इस मॉडूलेटर में transmitter की आउटपुट स्टेज में एक उच्च पॉवर फ्रीक्वेंसी का class c amplifier लगा रहता है. class c amplifier, इनपुट सिग्नल के पॉजिटिव half cycle के सिर्फ एक भाग पर कार्य करता है.

collector की current pulses, tuned सर्किट को एक आउटपुट फ्रीक्वेंसी पर oscillate अथवा रिंग करवाती हैं. इसलिए tuned सर्किट, carrier signal के नेगेटिव भाग को कम करता है.

इसमें modulating आउटपुट सिग्नल जो है वह modulation ट्रांसफार्मर से class c amplifier के साथ जुड़ा रहता है. modulation ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी विन्डिंग, class c एम्पलीफायर की collector सप्लाई वोल्टेज से एक क्रम में जुडी रहती है.

जब modulating signal पॉजिटिव में जाता है तो यह collector सप्लाई वोल्टेज में जुड़ जाता है इस प्रकार यह इसकी वैल्यू बढ़ा देता है और इसके कारण बड़ी current pulse और एक बड़ा amplitude carrier बनता है.

जब modulating सिग्नल नेगेटिव में जाता है यह collector सप्लाई वोल्टेज से घट जाता है और इसका मान घट जाता है. इस वजह से class c एम्पलीफायर की current pulse छोटी होती है और छोटा amplitude carrier बनाती है. तो इस प्रकार हमे amplitude modulated wave मिलती है जिसको फिर antenna के द्वारा transmit कर दिया जाता है.

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base मॉडूलेटर

इसका नाम base modulator इसलिए पड़ा क्योंकि RF carrier और message signal दोनों ट्रांजिस्टर के base को दी जाती हैं.

message सिग्नल को amplify करने के बाद इसे फिक्स bias base सप्लाई से मिला दिया जाता है, जो message सिग्नल के हिसाब से परिवर्तित होता है, इसके बाद इस मिलाये हुए bias को ट्रांजिस्टर के base को RFC (radio frequency choke) द्वारा दे दिया जाता है.

RF carrier को भी ट्रांजिस्टर के base में apply कर दिया जाता है. जिसे फिर message सिग्नल bias के साथ मिला दिया जाता है और इस मिलाये हुए bias वोल्टेज से collector current नियंत्रित की जाती है और फिर इस modulated waveform को ट्रांसफार्मर के secondary के साथ जोड़ दिया जाता है.

square law modulator

यह एक कम power का मॉडूलेटर circuit होता है. square law का मतलब होता है डिवाइस के इनपुट और आउटपुट में सम्बन्ध, (उस डिवाइस का जिस डिवाइस का प्रयोग modulation में किया गया है.)

square law मॉडूलेटर में एक non linear डिवाइस का, एक bandpass फ़िल्टर का, एक carrier source का और modulating signal का प्रयोग होता है. modulating signal और carrier एक दुसरे के साथ क्रम में जुड़े रहते हैं और इनका योग non linear डिवाइस की इनपुट में apply किया जाता है. non linear डिवाइस डायोड, या ट्रांजिस्टर हो सकते हैं.

switching modulator

switching modulator भी एक निम्न power का मॉडूलेटर सर्किट होता है. इसमें एक non linear डिवाइस का प्रयोग होता है जैसे की डायोड.

इसमें modulating सिग्नल और carrier सिग्नल एक दुसरे के साथ series (क्रम) में जुड़े रहते हैं. carrier का amplitude modulating सिग्नल के amplitude से बहुत बड़ा होता है. और carrier सिग्नल यह निर्णय करता है कि डायोड ON होगा या OFF.

माना कि डायोड एक ideal switch की तरह काम करता है तो इसलिए यह carrier की पॉजिटिव हाफ cycle में forward bias रहेगा और एक closed स्विच की तरह काम करेगा और शून्य impedance (प्रतिबाधा) देगा और carrier की नेगेटिव हाफ cycle में ये रिवर्स bias में होगा और open स्विच की तरह काम करेगा और अनंत (infinite) impedance देगा.

तो carrier की पॉजिटिव हाफ cycle में ये इनपुट वोल्टेज के बराबर आउटपुट वोल्टेज देगा और नेगेटिव हाफ cycle में जीरो आउटपुट वोल्टेज देगा. तो जो लोड वोल्टेज होगा वो जीरो और इनपुट वोल्टेज के बीच बदलता रहेगा. इसमें अनचाहे सिग्नल को हटाने के लिए band pass filter का प्रयोग करते हैं.

balanced modulator

एक balanced modulator एक ऐसा सर्किट होता है जो DSB सिग्नल उत्पन्न करता है. यह carrier को suppress (दबा) करके सिर्फ sum और difference फ्रीक्वेंसी को आउटपुट में देता है.

balanced modulator में एकसमान AM मॉडूलेटर होते हैं. ये एक संतुलित configuration में लगे हुए होते हैं जिससे कि ये carrier को suppress करते हैं इसलिए इसे balanced modulator कहते हैं.

इसमें दोनों AM मॉडूलेटर को समान carrier सिग्नल इनपुट में दी जाती है. एक AM मॉडूलेटर में एक और इनपुट के रूप में modulating सिग्नल अप्लाई किया जाता है. वहीं दुसरे मॉडूलेटर में दुसरे इनपुट के रूप में विपरीत polarity का modulating सिग्नल अप्लाई किया जाता है. इस प्रकार हम DSBSC (double side band suppressed carrier) wave मिलती है.

ring modulator

ring modulator में चार डायोड रिंग structure में जुड़े रहते हैं इसलिए इस modulator को रिंग मॉडूलेटर कहते हैं.

इसमें दो centre tapped ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है. message signal को इनपुट ट्रांसफार्मर में अप्लाई किया जाता है और carrier को दोनों centre tapped ट्रांसफार्मर में अप्लाई किया जाता है.

पॉजिटिव half cycle में दो डायोड ON रहते हैं तथा दो डायोड OFF रहते हैं. नेगेटिव half cycle में अगले दो डायोड ON रहते हैं और बाकि दो डायोड OFF रहते हैं. इस कारण से मिलने वाली DSBSC wave में 180 का phase शिफ्ट रहता है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इसमें चारों डायोड, carrier signal के द्वारा कण्ट्रोल किये जाते हैं.

FM modulators in hindi

fm modulation में carrier की फ्रीक्वेंसी मेसेज सिग्नल की फ्रीक्वेंसी के हिसाब से बदली जाती है और बाकी सारे मापदंड समान रहते हैं.

fm modulation का amplitude modulation के ऊपर यह लाभ होता है कि इसमें noise का suppression बढ़िया होता है. fm modulators वो डिवाइस होते हैं जो frequency modulation करते हैं.

types of fm modulator (एफएम मॉडूलेटर के प्रकार)

  1. reactance
  2. varactor diode
  3. VCO
  4. armstrong phase

reactance मॉडूलेटर

यह मॉडूलेटर, oscillator के tank circuit की फ्रीक्वेंसी को उसके reactance को change करके change करता है.

इसमें tank circuit के आरपार (across) एक रजिस्टर, एक condenser (संधारित्र), और एक modulator oscillator जुड़े रहते है.

reactance modulator का यह नाम इसलिए है क्योंकि oscillator के resonant circuit के साथ parallel (समानांतर) में जुड़े circuit की impedance (प्रतिबाधा), reactance (capacitive या inductive) की तरह काम करती है.

varactor diode मॉडूलेटर

इस modulator की मदद से direct FM उत्पन्न की जा सकती है. इसमें carrier फ्रीक्वेंसी सीधे सीधे modulating सिग्नल में परिवर्तित की जाती है.

एक varactor डायोड एक semiconductor डायोड होता है जिसका जंक्शन capacitance डायोड के reverse bias होने पर अप्लाई वोल्टेज के साथ linearly परिवर्तित होता है. varactor डायोड को reverse बायस में लगाया जाता है ताकि ये जंक्शन capacitance प्रभाव दे सके.

modulating वोल्टेज varactor डायोड के साथ क्रम में जुड़ा रहता है और डायोड के बायस को बदलता है. और इसलिए जंक्शन capacitance में परिवर्तन होता है. और इसलिए oscillator फ्रीक्वेंसी इसके साथ change होती है.

varactor diode मॉडूलेटर का प्रयोग बहुत होता है क्योंकि ये उपयोग करने में सरल होते है. और इनमे क्रिस्टल oscillator की स्थिरता होती है.

VCO (voltage controlled oscillator)

वोल्टेज controlled oscillator एक इलेक्ट्रॉनिक oscillator होता है जिसकी oscillation फ्रीक्वेंसी, वोल्टेज इनपुट के द्वारा कण्ट्रोल होती है. अप्लाई की गयी इनपुट वोल्टेज ही तय करता है कि instantaneous oscillation फ्रीक्वेंसी कितनी होगी.

एक VCO का उपयोग फ्रीक्वेंसी modulation या phase modulation के लिए भी हो सकता है. इसके कण्ट्रोल इनपुट पर modulating सिग्नल अप्लाई कर इसका उपयोग फ्रीक्वेंसी modulation के लिए किया जा सकता है.

वोल्टेज controlled oscillator दो प्रकार का होता है-

harmonic oscillator- इसका आउटपुट सिग्नल, sinusoidal waveform होता है. उदहारण- crystal oscillator, tank oscillator.

relaxation oscillator- इसका आउटपुट सिग्नल saw tooth या triangular waveform होता है. ये बहुत सारीं फ्रीक्वेंसी में ऑपरेट किया जा सकता है. इसकी आउटपुट फ्रीक्वेंसी capacitor के charging और discharging पर निर्भर करती है.

armstrong phase modulator in hindi

1933 में armstrong ने रेडियो सिग्नल के फ्रीक्वेंसी modulation के लिए एक method बनाया. armstrong method एक double side band suppressed carrier सिग्नल, जिसका phase शिफ्ट होता है, generate करता है. और फिर carrier को दोबारा डालने में फ्रीक्वेंसी modulated सिग्नल प्राप्त होता है.

armstrong method में सबसे पहले एक बहुत कम फ्रीक्वेंसी का carrier सिग्नल generate किया जाता है. इस carrier सिग्नल को transmitter की दो स्टेज में एक balanced modulator और एक mixer में दे दिया जाता है. ऑडियो सिग्नल और रेडियो फ्रीक्वेंसी carrier सिग्नल को balanced modulator में दिया जाता है. फिर balanced modulator जो है वह DSBSC सिग्नल generate करता है. तब आउटपुट सिग्नल का phase इनपुट सिग्नल के phase से 90 शिफ्ट हो जाता है. उसके बाद double side band सिग्नल और carrier सिग्नल mixer में अप्लाई कर दी जाती है और इस प्रकार हमें mixer की आउटपुट से फ्रीक्वेंसी modulated सिग्नल प्राप्त हो जाता है.

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