FET क्या है और इसकी कार्यविधि क्या है? हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज हम इस पोस्ट में what is FET in hindi (फेट क्या है तथा इसकी कार्यविधि, विशेषताओं, अनुप्रयोग) के बारें में पढेंगे तो चलिए start करते हैं:-

what is FET (Field  Effect  Transistor) in hindi 

Field Effect Transistor (FET) एक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो धारा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए विद्युत क्षेत्र का उपयोग करती है. FET में तीन टर्मिनल होते हैं, source, gate और drain.

इसको unipolar ट्रांजिस्टर भी कहा जाता है क्योंकि ये प्रचालन में एक ही प्रकार के वाहक (carrier) का उपयोग उपयोग करते हैं. जैसे ये किसी प्रचालन में या तो इलेक्ट्रान या होल किसी एक ही प्रकार के वाहक का उपयोग करते हैं.

इसका कम आवृति में input impedance बहुत उच्च होता है. FET को JFET भी कहते हैं.

construction of FET

इसको n चैनल या p चैनल से बनाया जा सकता है.

N channel FET– N चैनल FET बनाने के लिए एक n type के अर्धचालक पदार्थ में दो p type जंक्शन को इसके मध्य वाले भाग के दोनों तरफ diffuse किया जाता है. ये दोनों क्षेत्र एक दुसरे के साथ आतंरिक रूप से जुड़े रहते हैं और इन दोनों के एकसमान टर्मिनल gate को बाहर ले लिया जाता है.

दुसरे टर्मिनल source और drain को n टाइप पदार्थ से बाहर ले लिया जाता है. तो इस प्रकार इसमें तीन टर्मिनल होते हैं जो कि source, drain और gate हैं.

n type fet in hindi
चित्र

P channel FET– p चैनल FET बनाने के लिए एक p टाइप के अर्धचालक पदार्थ में दो n टाइप जंक्शन को इसके मध्य भाग के दोनों तरफ diffuse किया जाता है. इसमें भी दोनों pn जंक्शन क्षेत्र का समान टर्मिनल gate बाहर ले लिया जाता है और अन्य दो टर्मिनल p टाइप से बाहर ले लिए जाते हैं. इस प्रकार p चैनल FET बनता है.

p channel fet in hindi

 

three terminals of FET

source(S)- इसके द्वारा carrier (वाहक) चैनल में प्रवेश करते हैं. source से चैनल में प्रवेश करने वाली धारा को Is से दर्शाया जाता है.

drain(D)- इसके द्वारा वाहक चैनल से बाहर निकलते हैं. drain पर चैनल में प्रवेश करने वाली धारा को Id से दर्शाया जाता है. drain से source के वोल्टेज को VDS से दर्शाया जाता है.

gate(G)- यह टर्मिनल चैनल की चालकता को घटाता बढाता है. gate पर वोल्टेज लगाने से ID को नियंत्रित किया जा सकता है.

working (कार्यविधि)

gate हमेशा रिवर्स बायस होता है इसलिए गेट की धारा व्यावहारिक रूप से 0 होती है. सोर्स टर्मिनल, drain सप्लाई के अंतिम छोर से जुड़ा रहता है, जो कि आवश्यक वाहकों की आपूर्ति करता है. n चैनल FET में source टर्मिनल, drain वोल्टेज श्रोत के ऋणात्मक छोर से जुड़ा रहता है.

इलेक्ट्रान का प्रवाह source से drain की तरफ शुरू हो जाता है. जैसे जैसे VDS बढ़ता है धारा ID भी बढती है. इन दोनों के बीच का यह सम्बन्ध तब तक चलता है जब तक कि VDS pinch off वोल्टेज तक नही पहुँच जाता. धारा का प्रवाह दोनों depletion region के बीच में से होता है और drain से बाहर निकलती है.

चैनल की चौड़ाई और प्रतिरोधकता को इनपुट वोल्टेज VGS से नियंत्रित किया जाता है. जितना ज्यादा VGS होगा उतना ज्यादा चौड़ा depletion लेयर होगी और चैनल उतना ही पतला होगा. पतला चैनल मतलब ज्यादा प्रतिरोधकता तो इसलिए drain करंट घट जाती है.

जब VGS घटता है तो depletion लेयर की चौड़ाई घटती है और चैनल चौड़ा होता है जिसका मतलब प्रतिरोधकता घटती है और drain करंट बढ़ जाती है.

तो इस प्रकार हमने देखा कि FET इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि चैनल की चौड़ाई और प्रतिरोधकता को रिवर्स वोल्टेज VGS को बदल कर परिवर्तित किया जा सकता है.

characteristics of FET in hindi (फेट की विशेषताएं)

FET characteristic या transconductance curve चित्र में दर्शाया गया है जो कि drain करंट और gate source वोल्टेज के बीच दर्शाया गया है. transconductance curve में बहुत सारे क्षेत्र हैं जो कि ohmic, saturation, cutoff और breakdown region हैं.

ohmic region

यह एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ transconductance curve रैखिक प्रतिक्रिया देता है और FET का प्रतिरोध, drain धारा का विरोध करता है.

saturation region

इस क्षेत्र में FET ON अवस्था में रहता है और एक्टिव रहता है क्योंकि gate-source वोल्टेज की वजह से अधिकतम धारा प्रवाहित होती है.

cutoff region– इस क्षेत्र में कोई भी drain करंट प्रवाहित नही होती है इसलिए FET OFF अवस्था में रहता है.

breakdown region– यदि लागू की गयी वोल्टेज अधिकतम आवश्यक वोल्टेज से ज्यादा हो जाती है तो ट्रांजिस्टर धारा का प्रतिरोध करने में अक्षम हो जाता है जिससे धारा drain से source टर्मिनल में प्रवाहित होने लगती है और ट्रांजिस्टर ब्रेकडाउन region में आ जाता है.

applications of FET in hindi (फेट के अनुप्रयोग)

1). फेट का इनपुट impedance उच्च और आउटपुट impedance कम होता है इसलिए इसका उपयोग मापन यंत्रों और receiver में buffer की तरह किया जाता है.

2). कम इनपुट capacitance की वजह से इनका उपयोग cascade एम्पलीफायर में किया जाता है.

3). फेट एक वोल्टेज के द्वारा नियंत्रित युक्ति है इसलिए इसे वोल्टेज variable resistor की तरह उपयोग किया जाता है.

4). इसका उपयोग oscillation circuits में होता है.

5). फेट का आकार छोटा होने की वजह से ये कम स्थान घेरता है और आसानी से कहीं भी लगाया जा सकता है इसलिए ये डिजिटल परिपथ में उपयोग किया जाता है.

6). FET का उपयोग low noise amplifier में होता है क्योंकि यह बहुत कम noise उत्पन्न करता है.

7). chopper circuit में इसका प्रयोग होता है.

8). इसका उपयोग multiplexer में किया जाता है.

9). इसका उपयोग phase shift oscillator में किया जाता है.

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