DAIC & TRAIC क्या है हिंदी में? – कार्यविधि (working)

hello friends! आज मैं आपको इस पोस्ट में what is DIAC & TRAIC in hindi (क्या है?) के बारें में बताऊंगा तथा इनकी संरचना, कार्यविधि, और अनुप्रयोगों के बारें में भी पढेंगे तो चलिए शुरू करते है:-

what is DIAC in hindi 

एक DIAC ऐसा डायोड होता है जो अपने ब्रेकडाउन वोल्टेज(VBO) पर पहुँचने के बाद ही विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है. इसका पूरा नाम diode for alternating current होता है.

DIAC एक ऐसी युक्ति है जिसमे दो electrode होते हैं. इसका उपयोग thyristor की triggering में किया जाता है. DIAC, thyristor परिवार का ही सदस्य होता है. इसमें gate electrode नहीं होता जैसा कि कुछ अन्य thyristor में होता है.

D.I.A.C को बिना base का transistor भी कहा जाता है. इसे वोल्टेज की दोनों पक्षों (धनात्मक तथा ऋणात्मक) पर ON या OFF किया जा सकता है.

construction of DIAC (संरचना)

यह एक ऐसी युक्ति है जिसमे चार परत होती हैं और दो टर्मिनल होते हैं. इसकी संरचना transistor जैसी ही होती है पर कुछ बिन्दुओं पर यह transistor से भिन्न होता है. इसमें base टर्मिनल नहीं होता है. इसके तीन क्षेत्रों में लगभग बराबर डोपिंग होती है.

applications of DIAC in hindi (अनुप्रयोग)

  1. इसका मुख्य प्रयोग TRAIC triggering circuit में होता है. DIAC को TRAIC के gate टर्मिनल पर लगा दिया जाता है, जब gate के across वोल्टेज एक निश्चित सीमा से नीचे गिर जाता है तो gate वोल्टेज 0 हो जाता है इसलिए TRAIC OFF हो जाता है.
  2. इसका उपयोग lamp dimmer circuit में किया जाता है.
  3. इसे यूनिवर्सल मोटर की गति नियंत्रित करने में भी use किया जा सकता है.

what is TRIAC in hindi

TRIAC का पूरा नाम triode for alternating current होता है. यह एक तीन टर्मिनल वाली युक्ति है यह दुसरे SCR से अलग है क्योंकि यह दोनों दिशाओं में चालन कर सकता है, चाहे gate सिग्नल धनात्मक हो या ऋणात्मक, तो इसलिए इसका उपयोग AC सिस्टम के लिए switch की तरह किया जा सकता है.

यह एक तीन टर्मिनल, चार परत वाली two directional अर्धचालक युक्ति है जो AC power को नियंत्रित करती है.

construction of TRIAC (संरचना)

इसमें दो SCR समान्तर में लेकिन विपरीत दिशा में एक दुसरे के साथ जुड़े रहते हैं और इनके gate टर्मिनल एक दुसरे के साथ जुड़े रहते हैं. TRIAC का gate टर्मिनल n और p दोनों प्रकार के क्षेत्रों से जुड़ा रहता है जिसके कारण किसी भी ध्रुवता का सिग्नल लागु किया जाये यह दोनों दिशाओं में कार्य करता है.

इसमें तीन टर्मिनल होते हैं. main terminal (MT1), main terminal (MT2), और gate terminal (G).

operation of TRIAC in hindi (कार्यविधि)

TRIAC को ON करने के लिए breakover वोल्टेज से ज्यादा gate वोल्टेज लागू किया जा सकता है. लागू किया गया वोल्टेज जब breakover वोल्टेज से कम होता है तब हम gate triggering method का उपयोग कर के भी TRIAC को ON कर सकते हैं.

TRIAC के कार्य करने के चार अलग अलग तरीके होते हैं-

1). जब MT2 और gate धारा धनात्मक होती है.

2). जब MT2 धारा धनात्मक और gate धारा ऋणात्मक होती है.

3).  MT2 धारा ऋणात्मक और gate धारा धनात्मक होती है.

4). जब MT2 धारा ऋणात्मक और gate धारा भी ऋणात्मक होती है.

applications of TRIAC in hindi (अनुप्रयोग)

TRIAC का प्रयोग बहुत सारे जगहों पर होता है. कुछ निचे दिए गये हैं:-

  1.  इसका ज्यादातर प्रयोग AC switching में होता है.
  2. lighting control में इसे use किया जाता है.
  3. पंखों और छोटी मोटर के नियंत्रण में TRIAC का उपयोग किया जाता है.
  4. इलेक्ट्रॉनिक switches में TRIAC का उपयोग किया जाता है.

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