ब्लूटूथ प्रोटोकॉल स्टैक क्या है? – Bluetooth protocol stack in Hindi

hello दोस्तों! आज मैं आपको इस आर्टिकल में what is bluetooth protocol stack in hindi (ब्लूटूथ प्रोटोकॉल स्टैक क्या है?) के बारें में विस्तार से पढेंगे, तो चलिए start करते है:-

Bluetooth protocol stack in Hindi

Bluetooth protocol stack का प्रयोग यह डिफाइन करने के लिए किया जाता है कि ब्लूटूथ कार्य किस प्रकार करता है. इसमें layers के समूह होते है.

Bluetooth का layer structure जो है वह OSI model, TCP/IP या किसी अन्य model को follow नहीं करता है.

bluetooth protocol stack in hindi
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  1. Transport protocol group

इस समूह के प्रोटोकॉल डिजाइन किए गए हैं:-

  • Devices का पता लगाने तथा उन्हें connect करने के लिए.
  • audio और data traffic को ले जाने के लिए, जिसमें audio traffic की प्राथमिकता अधिक होती है।
  • telephony voice communication के लिए synchronous और asynchronous transmission को support करें.
  • ये devices के मध्य logical और physical links को मैनेज करें, जिससे कि ऊपर की layers और applications, कनेक्शन के माध्यम से data को भेज सकें.

इस group के protocols निम्नलिखित हैं:-

a):- Logical link control and adaptation protocol layer (L2CAP)

  • इस layer के माध्यम से सभी data traffic को route किया जाता है.
  • यह layer, निचली लेयरों के details से उपरी layers को ढके रहती है।
  • यह उपरी layers से बड़े packets को छोटे पैकेटों में विभाजित करता है जिन्हें आसानी से निचली layers द्वारा संभाला जा सकता है।
  • यह दो peer devices में वांछित service के maintenance (रखरखाव) की सुविधा प्रदान करता है।

b):- Link manager layer (LML)

  • यह communicating devices (संचार उपकरणों) के मध्य bluetooth air interface की properties (गुणों) को तय करता है।
  • ये properties जो है वह bandwidth allocation, या किसी विशेष प्रकार की support services आदि हो सकती हैं।
  • यह लेयर device pairing को भी देखती है.
  • device pairing एक डिवाइस के लिए विशेष authentic key को जनरेट तथा स्टोर करता है.
  • यह power control के लिए भी जिम्मेदार रहता है और power levels को adjust करने की request कर सकता है।

c):- Baseband and radio layers

  • baseband layer दूसरी devices की खोज (search) करने के लिए जिम्मेदार होता है, तथा यह devices को master और slave के roles को assign करता है।
  • यह लेयर bluetooth unit के synchronization और transmission frequency hopping sequence को भी नियंत्रित करती है।
  • यह devices के मध्य links को मैनेज करता है तथा synchronous तथा asynchronous traffic.के लिए सपोर्ट करने वाले packets को निर्धारित करता है.

d):- Host Controller Interface (HCI)

  • HCI के द्वारा stack की उच्च layers जो है वह baseband, link manager आदि को एक्सेस कर सकते हैं.
  • यह host devices और bluetooth modules के बीच interoperability के purpose को पूरा करता है।

2:- Middleware protocol group

  • इस group के protocols मौजूदा applications के लिए, bluetooth links पर काम करने के लिए आवश्यक होते हैं।
  • ये प्रोटोकॉल थर्ड पार्टी प्रोटोकॉल हो सकते हैं या फिर इन्हें ‘simple interest group (SIG)’ द्वारा विकसित किया गया होता है.

इस group के protocols निम्नलिखित हैं:-

a):- RFCOMM layer

  • यह applications के लिए virtual serial port उपलब्ध करवाता है.
  • यह cable के प्रयोग को समाप्त कर देता है.

b):- Service Discovery protocol layer (SDP)

  • SDP, Bluetooth devices के लिए दूसरी devices के द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को discover करने तथा learn करने एक standard method है.

c):- Infrared data association(IrDA) interoperability protocols

  • SIG ने कुछ Irda protocols को अपनाया है ताकि विभिन्न प्रकार के डेटा का आदान-प्रदान करने के लिए applications के बीच interoperability को सुनिश्चित किया जा सके।

d):- Object exchange protocol (OBEX)

  • इसे IrDA ने objects को सरल और सहज तरीके से exchange करने के लिए विकसित किया है.
  • यह client-server model का प्रयोग करता है.
  • यह transport mechanism तथा transport ‘Application programming Interface’ (API) से स्वतंत्र है।
  • यह एक folder listing objects को define करता है। जिसका प्रयोग remote device में folder के contents को browse करने के लिए किया जाता है.

e):- Networking layers

  • bluetooth wireless तकनीक जो है वह peer-to-peer नेटवर्क टोपोलॉजी का प्रयोग करती है.
  • Dial-up नेटवर्किंग AT commands का प्रयोग करती है.
  • ज्यादातर cases में, नेटवर्क एक्सेस IP network होता है, जिसमें standards protocols का उपयोग होता है जैसे:- TCP, UDP, HTTP.
  • network access point का प्रयोग करके एक डिवाइस IP network से connect हो सकता है। internet PPP का उपयोग access point से connect करने के लिए किया जाता है।

f):- Telephone control specifications layer (TCS) and audio

  • यह layer वॉयस कॉल को सेट करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह call control और group management जैसे कार्यों को support करता है।
  • TCS का प्रयोग data calls को सेट करने के लिए भी किया जाता है.
  • TCS protocols जो है वह ITU Specifications के लिए अनुकूल होते है.
  • ब्लूटूथ ऑडियो संचार 64 Kbps की data rate से होता है। इसके लिए इसमें दो data schemes का प्रयोग किया जाता है:- 8-bit logarithmic PCM या continuous variable slope delta modulation.

3:- Application group

  • इस group में वास्तविक applications होती हैं जो bluetooth links का उपयोग करती हैं और protocol stack के ऊपर मौजूद सॉफ़्टवेयर को संदर्भित करती हैं।
  • bluetooth-SIG किसी भी एप्लिकेशन प्रोटोकॉल को define नहीं करता है और न ही यह किसी API को specify करता है। bluetooth profiles को एक प्रोटोकॉल स्टैक के उपयोग के लिए विकसित किया जाता है।

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