Hello दोस्तों! आज मैं आपको Validation Based Protocol in Hindi (वेलिडेशन बेस्ड प्रोटोकॉल) के बारें में बताऊंगा. यह DBMS का एक महत्वपूर्ण topic है तो चलिए शुरू करते हैं:-
Validation Based Protocol in Hindi
validation based protocol को Optimistic Concurrency Control Technique भी कहते है. इस प्रोटोकॉल का प्रयोग DBMS (डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम) में transactions में concurrency को avoid करने के लिए किया जाता है.
इसे optimistic कहते है क्योंकि इसमें बहुत ही कम interference होता है इसलिए transactions को execute करते समय इसको check करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इस तकनीक में, transaction को execute करने के दौरान कोई checking नहीं की जाती है.
validation based protocol तीन phase वाला प्रोटोकॉल है. अर्थात् इसमें transaction तीन phases में execute होता है.
- Read phase
- Validation Phase
- Write Phase
1:- Read phase:- इस फेज में, transaction T को read तथा execute किया जाता है. इसका प्रयोग विभिन्न data items की values को read करने तथा उन्हें temporary local variables में स्टोर करने के लिए किया जाता है.
यह वास्तविक database में बदलाव किये बिना temporary variables में सभी write ऑपरेशन को perform कर सकता है.
2:- validation phase:-
इस फेज में, temporary variable value को वास्तविक data के विपरीत validate किया जाता है. validate यह check करने के लिए किया जाता है कि कहीं temporary variable वैल्यू serializability को violate तो नहीं कर रही है.
3:- Write Phase:-
यदि transaction का validation वेलिडेट हो जाता है, तो उसके बाद temporary values को database में write किया जाता है अन्यथा transaction वापस roll back हो जाता है.
यहाँ प्रत्येक phase के अलग-अलग timestamps होते हैं.
Start(Ti): यह उस time को contain किये रहता है जब Ti इसके execution को शुरू करता है.
Validation (Ti): यह उस time को contain किये रहता है जब Ti इसके read phase को पूरा कर लेता है और validation को शुरू करता है.
Finish(Ti): यह उस time को contain किये रहता है जब Ti इसके write phase को पूरा कर लेता है.
validation based protocol बहुत उपयोगी है और यदि conflicts होने की संभावना बहुत कम है तो यह concurrency की अधिकतम degree प्रदान करता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि Serializability order पहले से निर्धारित नहीं होता है इसे validation phase में निर्धारित किया जाता है.
अतः यह ऐसे transaction को contain किये रहता है जिनके roll back होने की सम्भावना बहुत ही कम होती है.
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