Hello दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is Switch in Hindi (कंप्यूटर नेटवर्क में स्विच क्या है?) के बारें में पढेंगे और इसके Types, Advantage, Working और Features को भी देखेंगे. आप इसे पूरा पढ़िए आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा, तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक
Switch in Hindi – स्विच क्या है?
Switch एक networking device है जो कि नेटवर्क डिवाइसों तथा सेगमेंट्स को आपस में जोड़ता है. इसे multiport bridge भी कहते है. क्योंकि इसकी कार्यविधि bridge के समान ही होती है.
यह OSI model के लेयर 2 (डेटा लिंक लेयर) में कार्य करता है. लेकिन आजकल ऐसे स्विच भी आ गये है जो कि osi model के लेयर 3 (नेटवर्क लेयर) में कार्य करते है.
switch में कई पोर्ट लगे होते है जब switch से होकर डेटा आता है तो switch डेटा में डेस्टिनेशन कंप्यूटर का एड्रेस पढ़ लेता है और उसे डेस्टिनेशन कंप्यूटर को भेज देता है. यह फ्रेम के mac address को check करता है.
स्विच एक बुद्धिमान (intelligent) device होती है। Switch को intelligent इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें memory होती है जिससे hardware address tables को maintain किया जाता है।
इन tables में सभी hosts का address स्टोर होता है और साथ ही कौनसा host किस port के माध्यम से switch से जुड़ा हुआ है ये भी store रहता है।
Switch का इस्तेमाल LAN में hosts या computers को आपस में connect करने के लिए किया जाता है।
Switches ट्रैफिक को कम कर देते है और collision domain को सेगमेंट्स में विभाजित कर देते है.
Switches में built-in hardware chips होती है जो कि switching का कार्य करती है. इसलिए इसकी speed (गति) बहुत तेज होती है और ये कई ports के साथ आते हैं.
इसमें डेटा frames के रूप में जाता है तथा यह भी bridge की तरह डेटा फ़िल्टरिंग करता है. Switch से आप दो networks को आपस में connect नहीं कर सकते है। दो networks को आपस में connect करने के लिए router का प्रयोग किया जाता है।
एक switch की hardware address table इस प्रकार हो सकती है –
Advantages of Switch in Hindi – स्विच के फायदे
इसके लाभ निम्नलिखित हैं:-
- यह network की उपलब्ध bandwidth को बढ़ा देते हैं.
- यह host के workload को कम करने में मदद करता है.
- स्विच network की performance को बढ़ा देता है.
- वे networks जो स्विच का इस्तेमाल करते हैं उनमें frame collision कम होता है.
- Switches को workstations के साथ direct connect किया जा सकता है.
- यह बुद्धिमान डिवाइस है.
Disadvantages of Switch in Hindi – स्विच के नुकसान
- यह hub और bridge से ज्यादा महंगा (expensive) होता है.
- इसके द्वारा network connectivity की समस्या को trace करना मुश्किल होता है.
- यदि स्विच promiscuous mode में होता है तो इसमें security attacks होने का खतरा होता है.
- इसमें multicast packets को handle करने के लिए सही design और configuration की आवश्यकता होती है.
Types of Switch in Hindi – स्विच के प्रकार
Switch के चार प्रकार होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:-
- Unmanaged Switches – इस प्रकार के Switch का इस्तेमाल अधिकतर Home Network या छोटे Business मे किया जाता है। ये स्विच Plug–in होते है और ये तुरंत work करने लगते है क्योंकि इन्हे किसी प्रकार के Configuration की आवश्यकता नहीं होती है।
इनके लिए छोटे Cable Connection की आवश्यकता होती है। इसके द्वारा एक network में devices एक दूसरे से connect हो सकती है. Switches की Category मे इन Switches का Price सबसे कम होता है। - Managed Switches :- इस प्रकार के Switches मे उच्च स्तर की Security, Precision Control और Network के Full Management के Features होते है। इस प्रकार के Switches को Large Network वाले business मे Use किया जाता है।
इस प्रकार के Network मे Customization करके Network की Functionality (कार्यक्षमता) को बढ़ाया जा सकता है। अगर इनके Pricing की बात कर तो ये Costly (महंगे) होते है लेकिन इनकी Scalability के कारण इनको Growing Networks के लिए उपयुक्त Network के तौर पर use किया जा सकता है। - LAN switches – इस प्रकार के स्विच को ethernet switches या data switches भी कहते है. इनका प्रयोग network congestion या bottleneck को कम करने के लिए किया जाता है.
- PoE switches – इनका प्रयोग PoE technology में किया जाता है. PoE का पूरा नाम Power over Ethernet होता है. ये स्विच cabling process को आसान बना देते हैं इसलिए ये flexible होते हैं.
Working of Switch in Hindi – स्विच की कार्यविधि
जब भी कोई host किसी दूसरे host को कोई frame send करता है तो source host का MAC address स्विच की address table में port के साथ स्टोर हो जाता है।
एक switch हमेशा source का address ही table में store करता है। मेरा मतलब जब तक की कोई host कुछ data send नहीं करेगा तब तक उसका MAC address और port number switch की table में store नहीं होगा।
जब आप शुरू में switch को setup करते है तो switch को किसी भी host और उसके address की कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में जब कोई host frame send करता है तो उसका MAC address तो table में store हो जाता है लेकिन destination की कोई भी जानकारी नहीं होने की वजह से switch उस frame को सभी hosts को send कर देता है।
ऐसे ही जब दूसरा host कुछ data send करता है तो उसका address भी table में store हो जाता है। ऐसे जब भी कोई host frames भेजता है और यदि उसका address पहले से table में मौजूद नहीं है तो switch उसे store कर लेता है। इस प्रकार एक switch अपनी table को build (निर्मित) करता है।
जब सभी hosts के addresses और port numbers स्विच में आ जाते है तो उसके बाद स्विच सभी hosts को frame नहीं भेजता. यह केवल सही host को ही frame भेजता है.
जैसा कि आपको पता होगा कि हब half duplex communication पर कार्य करते हैं इसलिए Hubs के साथ या तो आप डेटा को send कर सकते है या केवल receive कर सकते है। लेकिन switches के साथ ऐसा नहीं है switches के साथ आप एक साथ data को send भी कर सकते है और receive भी कर सकते है।
Hubs एक single collision domain को represent करते है लेकिन स्विच में हर port के लिए एक अलग collision domain होता है। इससे दूसरे hosts पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
Features of Switch in Hindi – स्विच की विशेषताएं
इसकी विशेषताएं नीचे दी गयी हैं:-
- यह OSI मॉडल के data link layer पर कार्य करता है.
- यह एक बुद्धिमान डिवाइस है.
- यह destination ports को data packets भेजने के लिए MAC address का इस्तेमाल करता है.
- यह packet switching तकनीक का प्रयोग data को receive और forward करने के लिए करता है.
- यह unicast, multicast और broadcast कम्युनिकेशन को सपोर्ट करता है.
- इसका ट्रांसमिशन मोड full duplex होता है.
- स्विच active device होती है.
- इसमें ports की संख्या ज्यादा होती है. – 24/48
Reference:- https://www.tutorialspoint.com/what-are-switches-in-computer-network
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