Routing in Hindi | रूटिंग क्या है?

Hello दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is routing in Hindi (रूटिंग क्या है?) के बारें में पढेंगे और इसके types को भी देखेंगे. आप इसे पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Routing in Hindi

  • Routing एक प्रक्रिया हैं जिसमें एक या एक से अधिक networks में से सबसे बेहतर path या route को select किया जाता है. इस path के द्वारा data को source से destination तक ट्रान्सफर किया जाता है.

  • Routing को एक विशेष device के द्वारा perform किया जाता है जिसे Router कहते हैं.

  • रूटिंग की प्रक्रिया को Layer 3 (नेटवर्क लेयर) की devices के द्वारा पूरा किया जाता है.

  • Packets की routing के लिए routing algorithms का प्रयोग किया जाता है. Routing algorithm एक सॉफ्टवेयर होता है जो packets को transmit करने के लिए सही path को select करता है.

  • Routing protocols का प्रयोग metric को निर्धारित करने के लिए किया जाता है.

Routing में एक network से दूसरे network के लिए सबसे best path को find किया जाता है। Best path को metric और administrative distance के आधार पर चुना जाता है। Routing को routers के द्वारा perform की जाती है। इसके लिए राऊटर routing tables बनाते है।

Types of Routing in Hindi – रूटिंग के प्रकार

Routing के तीन प्रकार होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:-

  1. Static routing
  2. Dynamic routing
  3. Default routing
Routing in Hindi - computer network

Static Routing in Hindi

Static routing एक प्रक्रिया है जिसमें routing table में manual तरीके से routes को add किया जाता है. इसे nonadaptive routing भी कहते हैं.

इस प्रक्रिया में routing decisions को network की topology के आधार पर नहीं लिया जाता है.

इस रूटिंग में routers एक दूसरे के साथ routes नहीं share करते है, इससे router की RAM/CPU पर अतिरिक्त stress (दवाब) नहीं पड़ता है और साथ ही इससे bandwidth भी save हो जाती है।

यह रूटिंग fault tolerant नहीं है क्योंकि इसमें सभी कुछ manually किया जाता है। इसलिए जब भी कोई link down होती है या नया router add किया जाता है तो routers में सभी बदलाव manually करने पड़ते है।

Advantages of Static Routing in Hindi

इसके फायदे नीचे दिए जा रहे हैं:-

  1. इसमें router के CPU पर overhead नहीं होता इसलिए static routing के लिए सस्ते routers का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

  2. इसमें routers के मध्य bandwidth usage नहीं होता. क्योंकि routers एक दूसरे से updates को share नहीं करते.

  3. इस रूटिंग के द्वारा हम network को बेहतर ढंग से control कर सकते हैं.

  4. यह बेहतर security प्रदान करता है क्योंकि इसमें केवल administrator ही routing को नियंत्रित करता है.

Disadvantages of Static Routing in Hindi

इसके नुकसान नीचे दिए गये हैं:-

  1. यदि नेटवर्क में कोई बदलाव करना हो तो उसे सभी routers पर manually करना होता है.

  2. यदि कोई route down हो जाए तो इसमें कोई fault tolerant नहीं होता.

  3. यह बड़े networks के लिए बेहतर नहीं होती क्योंकि बड़े network में routing table में प्रत्येक route को add करना मुश्किल काम होता है.

  4. इसमें network administrator को topology की बेहतर knowledge होनी चाहिए.

Dynamic Routing in Hindi

Dynamic routing एक प्रक्रिया है जिसमें routing protocols का प्रयोग करके routing table में routes को add किया जाता है. इसमें routing table में कोई भी बदलाव automatic होता है.

डायनामिक रूटिंग को adaptive routing भी कहते हैं.

इसमें dynamic protocols का प्रयोग नए routes को खोजने के लिए किया जाता है.

डायनामिक रूटिंग में RIP और OSPF protocols का प्रयोग नए routes को खोजने के लिए किया जाता है.

Dynamic routing में routers एक दूसरे के साथ routing information को share करते है। इससे CPU और Memory का overhead बढ़ जाता है और bandwidth भी use होती है। लेकिन यदि

इस रूटिंग में, network में कोई route down हो जाये तो routing protocols dynamically दूसरे बेहतर route को choose कर सकते है।

Advantages of Dynamic Routing in Hindi

इसके लाभ निम्नलिखित हैं:-

  1. इसे बड़े networks में आसानी से configure किया जा सकता है.
  2. यह best route को select करने में ज्यादा प्रभावी है.
  3. यह load balance करने में सक्षम है.

Disadvantages of Dynamic Routing

इसके नुकसान नीचे दिए गये हैं:-

  1. यह ज्यादा महंगी है क्योंकि इसमें CPU और bandwidth usage होता है.
  2. यह static routing की तुलना में कम secure (सुरक्षित) है.

Default Routing in Hindi

Default Routing एक तकनीक है जिसमें router को सभी packets को एक ही hop device में send करने के लिए configure किया जाता है.

इसमें यह मायने नहीं रहता है कि packet किस नेटवर्क से सम्बन्धित है, इस packet को उस device को भेज दिया जाता है जिसे default routing के लिए configure किया है.

डिफ़ॉल्ट रूटिंग का प्रयोग ज्यादातर stub router के साथ किया जाता है. Stub router एक router होता है जिसमें केवल एक route होता है.

Routing Table in Hindi – रूटिंग टेबल क्या है?

एक राऊटर routing table बनाता है जिनमें नीचे दी गई information होती है।

  • Destination network और उसका sub-net mask होता है।
  • Destination network तक जाने के लिए next hop router के बारे में information होती है।
  • Routing metrics और administrative distance स्टोर होती है।

Routing table 2 तरह के protocols से सम्बन्धित होती है।

  1. Routed protocols – ये network layer protocols होते हैं। ये protocols डाटा को एक network से दूसरे network में भेजने के लिए responsible (जिम्मेदार) होते है। उदाहरण के लिए IP (Internet Protocol) और IPX आदि।

  2. Routing protocols – इन protocols का प्रयोग routing tables में network, topology और  hop की information को build (निर्मित) करने के लिए किया जाता है। इन सारी information को dynamically (automatically) build किया जाता है। उदाहरण के लिए RIP, IGRP और OSPF आदि।

Destination network तक सबसे बेहतर route को खोजने के लिए router नीचे दिए गये तीन elements का इस्तेमाल करता हैं.

  1. Prefix length – यह network को identify करने के लिए bits की quantity (मात्रा) होती है. इसके द्वारा सबसे सटीक route को निर्धारित किया जाता है. prefix length जितनी ज्यादा अधिक होती है route उतना ही ज्यादा सटीक होता है.

  2. Metric – Metric एक router को routing protocol के अंतर्गत सबसे बेहतर route खोजने की योग्यता देती है। Distance vector protocols दूरी (distance) को metric की तरह यूज़ करते है और link state protocols जो है वे shortest path first algorithm द्वारा calculate की गई cost को metric की तरह यूज़ करते है।

    जिन routes की best metric होती है वही routing tables में add किये जाते है। यहाँ तक कि यदि किसी routing protocol के पास एक ही network तक जाने के 4 route है तो भी जो metric सबसे better होगी उसे ही routing table में add किया जायेगा। यदि equal metric के एक से ज्यादा route available है तो load balance के द्वारा सही metric को choose किया जायेगा।

  3. Administrative Distance – यदि router पर एक से अधिक routing protocols चल रहे है तो किस protocol पर सबसे अधिक trust (विश्वास) करना है ये administrative distance के द्वारा Determine (निर्धारित) किया जाता है।

    जहाँ पर administrative distance सबसे कम होती है वही protocol choose किया जाता है। Administrative distance एक numerical value होती है जो dynamic protocols को assign की जाती है। ये fixed होती है।

    जिस protocol की administrative distance पता नहीं होती है तो उसे कभी भी routing table में नहीं लिया जाता है।

Reference:- https://www.javatpoint.com/computer-network-routing

निवेदन:- अगर आपके लिए Routing in Hindi (रूटिंग क्या है?) यह आर्टिकल उपयोगी रहा हो तो इसे अपने friends और classmates के साथ अवश्य share कीजिये और आपके networks या CCNA से related कोई सवाल हो तो उसे नीचे comment के माध्यम से बताइए. Thanks.

Leave a Comment