हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में IPv6 Address in Hindi के बारें में पढेंगे और इसके types और features को भी देखेंगे. आप इसे पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक
IPv6 Address in Hindi
IPv6 का पूरा नाम Internet Protocol Version 6 है. यह एक network layer प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग एक network में communication के लिए किया जाता है. इसका साइज़ 128 bits का होता है
IPv4 की problems को solve करने के लिए IETF (internet engineering task force) ने IPv6 को विकसित किया था. इसे 1998 में विकसित किया गया था.
यह internet protocol (IP) का सबसे नया version है तथा इसमें IPv4 से ज्यादा बेहतर तथा advanced विशेषताएं (features) है. यह भविष्य में IPv4 की जगह कार्य करेगा. इस समय यह IPv4 के साथ मिलकर कार्य करता है.
यदि आप अपने computer में network center खोले तो दोनों protocols को एक साथ काम करते हुए देख सकते है। जैसा कि आप नीचे चित्र में देख सकते है।
IPv6 Address का example –
2d12:1ba8:3c4d:21d3:0000:0000:3214:ab65
IPv4 को 80 के दशक में बनाया गया था। तब से लेकर अब तक internet की दुनिया में बहुत ज्यादा बदलाव आ गए है। शुरुआत में internet कुछ limited organizations तक ही सिमित था लेकिन अब यह पूरी दुनिया में फैल चूका है। दिनों दिन internet के users बढ़ते जा रहे है। इसलिए ऐसी कुछ limitations (कमियां) है जिनकी वजह से IPV4 भविष्य में internet की जरूरतों को पूरा नहीं कर पायेगा।
IPv4 और इसकी कमियों के बारें में पढने के लिए क्लिक करें.
Features of IPv6 in Hindi – IPv6 की विशेषताएं
इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- IPv6 में address space बहुत ही बड़ा है। ऐसा माना जाता है की इस दुनिया के हर इंसान को 20,000 IP address दिए जा सकते है। इसलिए नजदीकी भविष्य में IP address की कमी की कोई problem नहीं होगी। IPV6 का address space भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
- IPv6 security के लिए IPSec (Internet Protocol Security) का इस्तेमाल करता है। IPv6 की header में IPSec के लिए field प्रदान किया गया है। शुरू में ये IPV6 के साथ ही built in था लेकिन बाद में इसे optional बना दिया गया।
- यह packets को priority (वरीयता) के आधार पर forward करने में सक्षम है। इसके लिए IPv6 header में flow label फील्ड प्रदान किया गया है। यह एक 20 bit field होता है.
- IPv6 आपको auto configuration का फ़ीचर प्रदान करता है। इससे यदि DHCP server उपलब्ध ना हो तो भी communication में कोई problem नहीं आती है। साथ ही IPV6 में state-full और stateless दोनों तरह के configuration संभव है।
- IPv6 का header बहुत ही simple है इसमें सिर्फ 8 fields होते है। Simple header की वजह से IPV6 पैकेट IPV4 पैकेट की तुलना में तेजी से transmit होते है।
- यह broadcast को support नहीं करता है। एक से ज्यादा hosts को packets send करने के लिए यह multicast का इस्तेमाल करता है।
- IPv6 के पूरी तरह लागू होने पर हर system के पास एक यूनिक IP address होगा। इससे हर host इन्टरनेट पर किसी दूसरे host से directly communicate कर सकता है। IPV6 के लागू होने पर आपको NAT (Network Address Translation) की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
- IPv6 के द्वारा devices जैसे कि- mobile phones किसी दूसरी location पर जाकर भी उसी IP address के साथ network से connected रह सकते है।
इसे पढ़ें:- IPv4 और IPv6 के बीच अंतर क्या है?
Types of IPv6 address in Hindi
इसके प्रकार नीचे दिए गये हैं:-
- Unicast Address – इसका प्रयोग एक network में यूनिक node या device को identify करने के लिए किया जाता है.
- Multicast Address – यह IP devices के एक समूह को प्रस्तुत करता है और इसका इस्तेमाल एक packet को एक समय में बहुत सारें destination को send करने के लिए किया जाता है.
- Anycast Address – इसका इस्तेमाल अलग-अलग nodes पर interface के एक समूह को identify करने के लिए किया जाता है.
IPv6 Addressing in Hindi
एक IPv6 एड्रेस 128 bits का होता है. जहाँ IPv4 को decimal numbers के 4 groups द्वारा represent (प्रस्तुत) किया जाता है वहीँ IPv6 को hexadecimal numbers के 8 groups के द्वारा represent किया जाता है। IPv6 address का example नीचे दिया जा रहा है।
जैसा कि आप देख रहे है IPV6 address को 3 parts में divide किया गया है। हर part का अलग महत्व है।
- Global prefix पार्ट एक network ID होती है जो routing के लिए use की जाती है। इसकी size 48 bits होती है। ये शुरू के 3 groups द्वारा represent की जाती है।
- Global prefix पार्ट के बाद subnet पार्ट आता है, इसमें एक number होता है जो sub network को identify करने के लिए यूज़ किया जाता है। इसकी size 16 bits होती है।
- Interface ID किसी भी host को uniquely identify करती है। यह ID, sub network में और globally भी host को uniquely identify करती है। इसकी size 64 bits होती है।
IPV6 addresses को लिखने के लिए आप shortcut भी यूज़ कर सकते है। जैसे कि यदि आप चाहे तो ऊपर दिए गए IPV6 address को इस प्रकार भी लिख सकते है।
2d12:1ba8:3c4d:21d3:0:0:3214:ab65
यहाँ पर चार zero की जगह सिर्फ एक zero लिखा है.
इसे पढ़ें:- IPv6 Header क्या है?
Advantages of IPv6 in Hindi
- यह reliable (विश्वसनीय) होता है.
- इसकी speed बहुत ही fast होती है क्योंकि यह broadcast की जगह multicast को support करता है.
- इसमें IPsec का इस्तेमाल किया जाता है जो कि security और data integrity प्रदान करता है.
- यह routing table के size को कम करता है और routing ज्यादा efficient (कुशल) बनाता है.
- इसमें peer to peer networks को create और maintain करना आसान होता है.
Disadvantages of IPv6 in Hindi
- IPv6 को याद करना बहुत ही मुश्किल होता है.
- यह पुराने devices को support नहीं करता है.
- IPv4 और IPv6 के मध्य कम्युनिकेशन बहुत ही complex (जटिल) होता है.
- इसमें devices को manual तरीके से IP address दिए जाते है जो कि एक complicated काम है.
Reference:- https://www.geeksforgeeks.org/what-is-ipv6/
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