हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is RIP Protocol in Hindi के बारें में पढेंगे और इसके message format, disadvantage और timers को भी देखेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक
RIP Protocol in Hindi
RIP का पूरा नाम Routing Information Protocol है. यह एक dynamic routing protocol है जो कि source और destination नेटवर्क के मध्य सबसे best path को find करने के लिए routing metric के रूप में hop count का इस्तेमाल करता है.
यह एक distance vector प्रोटोकॉल है और यह OSI model के application layer पर कार्य करता है.
RIP एक ओपन स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल है अर्थात् यह किसी भी कंपनी के राऊटर के साथ काम कर सकता है. इसे कभी कभी IP RIP भी कहते है.
RIP एक classful राऊटिंग प्रोटोकॉल है इस कारण यह VLSM (variable length subnet mask) को सपोर्ट नहीं करता.
इसमें hop count का प्रयोग मैट्रिक्स के रूप में सबसे उपयुक्त path (मार्ग) को खोजने करने के लिए किया जाता है. जिससे कि उस path से डेटा पैकेट्स डेस्टिनेशन तक पहुँच सकें.
RIP में hops की अधिकतम संख्या केवल 15 तक हो सकती है और यदि hops की संख्या 16 हो जाए तो फिर destination unreachable error आती है. इसमें hop count 16 को अनंत (infinite) माना जाता है. Hop count 16 का प्रयोग ऐसे नेटवर्क को इंगित करने के लिए किया जाता है जिन्हें access नहीं किया जा सकता है.
RIP की AD value 120 होती है और यह port number 520 का प्रयोग करता है.
RIP Message Format in Hindi
RIP messages को 2 categories में divide (विभाजित) किया गया है।
- Routing information message
- Information request message
इन दोनों ही messages का format एक समान ही होता है। इसमें 32 bits की RIP header होती है। Header के बाद message में IP address और metric का pair होता है। RIP header में बहुत से fields होते है। आइये इनके बारे में जानने का प्रयास करते है।
- Command – यह field बताता है कि message एक request message है या response message है। यदि इसकी value 1 है तो मैसेज request message है और यदि 2 है तो यह response message है। इस फील्ड का size 8 बिट होता है.
- Version – यह field बताता है कि RIP का कौन-सा version हम इस्तेमाल कर रहे हैं।
- Reserved – यह एक reserved field होता है. इसकी value zero होती है।
- Family – यह फील्ड का size 16 बिट होता है. यह identify करता है कि किस family का address प्रयोग किया जाता है। जब इस field की value 2 होती है तो ये IP protocol को represent करता है।
- Network address – यह 14 bytes का फील्ड होता है. इसमें destination IP address को define किया जाता है.
- Distance – यह फील्ड hop count को प्रस्तुत करता है. अर्थात् destination तक पहुँचने के लिए प्रयोग किये गये hops की संख्या.
Disadvantages of RIP in Hindi – RIP की कमियां
इसकी कमियां नीचे दी गयी हैं:-
- इसमें hop counts सिर्फ 15 routers तक ही limited (सीमित) होता है। यदि 15 routers को cross करने के बाद भी डाटा पैकेट destination तक नहीं पहुँच पाता है तो उसे discard (निरस्त) कर दिया जाता है।
- RIP एक classful routing प्रोटोकॉल है इस कारण यह VLSM (variable length subnet mask) को सपोर्ट नहीं करता है। इसका मतलब जो नेटवर्क class-full boundaries में होता है उसे ही routing table में जगह मिलती है।
- इसमें convergence बहुत ही slow होता है. Routing update messages की वजह से बड़े networks पर convergence बहुत slow होता है। एक router से update दूसरे router तक जाती है और अंत में सभी routers के पास एकसमान routing table होती हैं इसे convergence कहते है। लेकिन large networks में यह process बहुत अधिक समय ले लेती है।
- RIP के द्वारा किसी भी router की bandwidth के बारे में कोई भी information नहीं प्राप्त की जा सकती है।
- RIP एक destination के लिए multiple routes storage को support नहीं करता है।
- Routing updates के लिए विशेष bandwidth की जरुरत हो सकती है।
- कई बार routing loops के create होने की वजह से network काम करना बंद कर सकता है।
Advantages of RIP in Hindi
इसके लाभ निम्नलिखित हैं:-
- इसे configure करना आसान होता है.
- इसकी complexity बहुत कम होती है.
- इसमें CPU utilization कम होता है.
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RIP Routing Table का Structure
RIP routing table की हर entry से कई तरह की information प्राप्त होती है। जैसे कि –
- Destination – इस field में destination network का IP address डिफाइन होता है.
- Next hop (Metric) – इस field में destination तक पहुँचने के लिए next router को define किया जाता है।
- Hop count – यह फील्ड destination router से source की दुरी hop counts के रूप में represent करता है। इसे metric field भी कहते है।
- Timers – ये फील्ड timers के लिए होता है। ये blank भी रह सकता है।
RIP हमेशा destination के लिए सबसे best route को ही store करता है इसलिए यह जब भी कोई नयी information या अच्छा route प्रदान करता है तो table से पुराने route को हटाकर नए route को स्टोर कर दिया जाता है।
RIP Timers in Hindi
दूसरे protocols की तरह RIP भी खुद की performance को बेहतर करने के लिए कुछ timers का प्रयोग करता है। RIP 3 तरह के timers प्रयोग करता है।
- Update timer
- Timeout timer
- Flush timer
Update timer – यह routing updates का timer होता है। जैसा कि आपको पता है RIP हर 30 second में अपनी routing table दूसरे routers के साथ share करता है। आप चाहे तो इस time को कम या अधिक कर सकते हैं। लेकिन सामान्य रूप से यह 30 seconds ही होता है।
Timeout timer – इसको invalid timer भी कहा जाता है। ये determine (निर्धारित) करता है कि यदि किसी route के बारे में नयी information नहीं प्राप्त हो रही है तो कब तक उसे valid माना जाना चाहिए।
यदि 180 seconds तक कोई भी update नही आती है तो तब router को invalid समझा जाता है। Timeout timer की default value 180 seconds होती है।
Flush timer – यह determine करता है कि एक invalid route को कितनी देर में routing table से हटा देना चाहिए। इसकी default value 240 seconds होती है। जब ये timer expire होता है तो route को table से remove कर दिया जाता है।
RIP Modes in Hindi
RIP में routers को 2 modes में विभाजित किया जाता है।
- Active – इस mode में routers अपनी routing information को दूसरे routers के साथ share करते है।
- Passive – इस mode में routers दूसरे routers से routing information को लेते है लेकिन अपनी routing information किसी भी router के साथ share नहीं करते है।
Default रूप से RIP, active mode में run होता है। केवल routers पर ही RIP active mode में run होता है और दूसरे devices पर passive mode में run होता है।
जिस router पर RIP active mode में run होता है वह हर 30 second में एक message भेजता है। इस message के द्वारा router अपनी routing table को directly connected routers के साथ share करता है। हर message में IP addresses होता है जो दूसरे network को represent करता है और एक integer value होती है जो कि hop counts की form में उस network से दुरी बताती है।
जब भी कोई router किसी दूसरे router से कोई route प्राप्त करता है तो वह तब तक उसे अपनी table में रखता है जब तक की उसे दूसरा बेहतर route नहीं मिल जाये।
Reference:– https://www.javatpoint.com/rip-protocol
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