Spanning Tree Protocol क्या है? और इसके Types, Working

Hello दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में Spanning Tree Protocol (STP) in Hindi के बारें में पूरे विस्तार से पढेंगे और इसके Types, Working और Advantages को भी देखेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Spanning Tree Protocol in Hindi

Spanning Tree Protocol (STP) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो कि bridge और switch पर run होता है. यह network में loops को remove करता है. किसी भी network के लिए loops बहुत ही खतरनाक होते हैं.

STP एक link management protocol है जिसे एक network में loops को हटाने के लिए design किया गया है. यह ethernet network के लिए loop मुक्त logical topology का निर्माण करता है.

Spanning Tree Protocol एक नेटवर्क में सभी links को monitor करता है. यह redundant links को find करने के लिए एक algorithm का प्रयोग करता है जिसे spanning tree algorithm  (STA) कहते हैं. STA algorithm सबसे पहले एक topology database को create करता है उसके बाद यह redundant links को find और disable करता है.

STP को IEE 802.1D में specify किया गया है और इसे 1985 में Perlman ने विकसित किया था.

चलिए एक उदाहरण के द्वारा इसे समझते हैं:-

जैसा कि आपको पता होगा कि layer 2 switches में single broadcast domain होती है। इसका मतलब जब भी कोई host किसी broadcast को send करता है तो switch उसे हर port को forward करता है। हालांकि ये एक बहुत ही अच्छा feature है लेकिन कई बार ये network के लिए बहुत बुरा साबित होता है।

spanning tree protocol in Hindi

उदाहरण के लिए ऊपर दिए हुए diagram को देखिये। इसमें सभी switches आपस में connected (जुड़े) है। जब host A एक frame को broadcast कर रहा है तो यह फ्रेम सबसे पहले switch 1 के पास जाता है। Switch 1 इस फ्रेम को switch 2 और 3 को forward कर देता है। Switch 2 इस frame को switch 3 को और switch 3 इसे switch 2 को forward करता है। इसके बाद ये दोनों एक ही frame को switch 1 को भेज देते है। Switch 1 वापस इस फ्रेम को दोनों switch को भेज देता है और यही process लगातार अनंत तक चलती रहती है। जब तक कि किसी switch को off करके वापस on ना कर दिया जाए।

इसे broadcast storm कहते है। इससे बचना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस problem से बचने के लिए कुछ rules का set बनाया गया है जिसे spanning tree protocol कहते है।

Spanning tree protocol को switching loops से generate (उत्पन्न) होने वाले broadcast storms को रोकने के लिए develop किया गया है।

Spanning tree protocol ढूंढता है कि कहीं network में कोई loop तो नहीं है। यदि कोई loop मिलता है तो STP उस लूप को eliminate करने के लिए जितने ports को block करना पड़े उन सभी ports को block कर देता है।

यदि कोई दूसरा port down हो जाये तो एक blocked port को फिर से reactivate कर दिया जाता है। इससे network की redundancy बनी रहती है।

Types of Spanning Tree Protocol (STP)  in Hindi

इसके प्रकार निम्नलिखित हैं:-

  1. 802.1D
  2. PVST+
  3. RSTP
  4. RPVST+
  5. MST

802.1D – इसे CST (common spanning tree) भी कहते हैं. यह एक spanning tree standard है जिसे IEEE ने विकसित किया है. इसका लाभ यह है कि इसमें कम CPU और memory की जरूरत होती है. इसका नुकसान यह है कि इसमें load balancing की सुविधा नहीं होती.

PVST+ – इसका पूरा नाम Per VLAN Spanning Tree + है. यह एक spanning tree स्टैण्डर्ड है जिसे Cisco ने अपनी devices के लिए विकसित किया है. इसका लाभ यह है कि इसमें bandwidth को कम use किया जाता है और यह load balancing की सुविधा प्रदान करता है. इसका नुकसान यह है कि इसमें ज्यादा CPU और memory की आवश्यकता होती है.

RSTP – इसका पूरा नाम Rapid Spanning Tree Protocol है. यह एक spanning स्टैण्डर्ड है जिसे IEEE ने विकसित किया है. यह CST से तेज convergence प्रदान करता है. RSTP को bridge resources की जरूरत CST से ज्यादा परन्तु PVST+ से कम होती है.

RPVST+ – इसका पूरा नाम Rapid Per VLAN Spanning Tree+ है. यह spanning tree स्टैण्डर्ड है जिसे Cisco ने विकसित किया है. यह PVST+ से तेज convergence प्रदान करता है. इसे STP से ज्यादा memory और CPU की जरूरत होती है.

MST – इसका पूरा नाम Multiple Spanning Tree है. इसे IEEE ने विकसित किया है. यह एक spanning tree protocol है जो दूसरे spanning tree protocol पर run करता है. इसका लाभ यह है कि इसकी redundancy उच्च होती है, और इसमें load balancing को प्राप्त किया जा सकता है तथा इसमें कम CPU और memory की जरूरत होती है. इसका नुकसान यह है कि इसमें ज्यादा configuration की जरूरत होती है और इसे implement करना आसान नहीं है.

Advanatges of Spanning Tree Protocol (STP) in Hindi

इसके फायदे निम्नलिखित हैं:-

  1. यह link redundancy प्रदान करता है और loops को remove करता है.
  2. यह broadcast storms को होने से रोकता है.
  3. यह bridge और switch को support करता है.
  4. यह उन devices से connect करता है जो STP capable नहीं होती है जैसे – PC, Server, router, या hub आदि.
  5. इसे इस्तेमाल करना आसान है.

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Working of Spanning Tree Protocol in Hindi

STP की working (कार्यविधि) के निम्नलिखित steps होते हैं:-

  1. सबसे पहले सभी switches में से एक root switch को  चुना जाता है।

  2. इसके बाद root ports को identify किया जाता है।

  3. इसके बाद designated ports को identify किया जाता है।

  4. इसके बाद loops को eliminate करने के लिए ports को block किया जाता है।

इस पूरी process (प्रक्रिया) को convergence process कहते हैं। आइये अब इन सभी steps को detail में देखते है।

1:- Root switch को चुनना

Convergence process में सबसे पहला स्टेप root switch को चुनना होता है। यह पूरी STP topology का central point (केंद्र बिंदु) होता है। सबसे अच्छा तो यही रहेगा कि जो switch topology में सबसे center और top पर है उसे ही root switch बना दिया जाये।

Root switch को switch ID के माध्यम से चुना जाता है। एक Switch ID, switch priority और switch के MAC address से मिलकर बनी होती है। Switch priority 16 bit की होती है इसकी maximum value 32768 होती है।

जिस switch की priority सबसे low होती है वही root switch बन जाता है।  यदि 2 switches की priority एक समान हो तो फिर उनके MAC address को compare किया जाता है। जिस switch का MAC address छोटा होता है वही root switch बन जाता है।

spanning tree protocol working in Hindi

ऊपर दिए हुए diagram (चित्र) में switch 2 की priority सबसे कम है इसलिए यही root switch कहलायेगा।

2:- Root ports को identify करना

यह convergence process का दूसरा step होता है. इसमें root ports को identify किया जाता है। हर switch का root port वह port होता है जिसका root switch तक path cost बाकी सभी ports से कम होता है। हर switch में सिर्फ एक ही root port हो सकता है।

किसी port का root switch से path cost उसकी bandwidth पर depend (निर्भर) करती है। जितनी ज्यादा bandwidth होती है उतनी ही कम path cost होती है। जैसे की 1 Gbps की path cost 4 होती है और 10 Gbps की path cost 2 होती है।

3:- Designated Root Ports को identify करना

यह convergence process का तीसरा step है. इसमें designated ports को identify किया जाता है। एकdesignated port वो port होता है जो network में BPDU और frames forward करने के लिए responsible (जिम्मेदार) होता है।

यदि किसी switch में ऐसे दो ports है जो designated port बन सकते है तोइसका मतलब होता है कि network में loop है। एक ही port कभी root port औरdesignated port नहीं बन सकता है।

इसे दूसरी तरह से देखे तो आप के network में हर switch में सिर्फ एक ही ऐसा port हो जिससे सारे network में कहीं भी frame send किया जा सके है। यदि ऐसे port एक से अधिक है तो समझ लीजिये कि आपके network में loop है और इसे eliminate करने के लिए आपको हर स्विच से एक port को छोड़कर बाकि सभी ऐसे ports को block करना होगा।

Reference:- https://www.guru99.com/stp-spanning-tree-protocol-examples.html

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