Compiler, Assembler और Interpreter क्या हैं?

Hello दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में Compiler, assembler & interpreter in Hindi (कम्पाइलर, असेम्बलर और इंटरप्रेटर क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे मैंने बहुत ही आसान भाषा में लिखा है. आप इसे पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए start करते हैं:-

Compiler in Hindi – कम्पाइलर क्या है ?

  • Compiler एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो high level language में लिखे गए code को low level language में बदलता है जिससे कि प्रोग्राम को आसानी से execute किया जा सके।

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “कम्पाइलर एक language translator होता है जो high level language के code को machine language में translate करता है।”

  • Compiler पूरे हाई लेवल लैंग्वेज के कोड को एक ही बार में मशीन लैंग्वेज में बदल देता है। जबकि interpreter एक-एक line को मशीन लैंग्वेज में बदलता है।

  • Compiler के द्वारा source code को object code में convert (बदला) जाता है। अगर source code में कोई error (गलती) होती है तो कम्पाइलर source code को object code में नहीं बदल सकता।

  • कम्पाइलर, Interpreter से ज्यादा बुद्धिमान (intelligent) होता है क्योंकि यह एक ही बार में पूरे source code को translate कर देता है।

  • प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे कि – C++, JAVA, C, C# आदि कम्पाइलर का प्रयोग अपने programs को translate करने के लिए करती है।
compiler in hindi

Advantage of compiler in Hindi – कम्पाइलर के फायदे

कम्पाइलर के फायदे निम्नलिखित हैं-

  1. एक समय में कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम या source code को एक साथ ही execute कर सकता है।
  2. compile किया हुआ प्रोग्राम बहुत तेजी से run होता है।
  3. compiler में गलतियां होने की संभावना कम होती है।
  4. कम्पाइलर program को optimize करता है इसलिए  code को कम मैमोरी की जरूरत पड़ती है।
  5. कम्पाइलर programmer को error दिखाता है।
  6. इसमें programs सुरक्षित रहते हैं और कोई हैकर इन programs को हैक नही कर सकता।
  7. इसमें CPU का utilization ज्यादा होता है।
  8. इसे बहुत सारीं high-level language के द्वारा support किया जाता है जैसे कि- C++, JAVA, C# आदि।

Disadvantages of compiler in Hindi – कम्पाइलर के नुकसान

Compiler के नुकसान नीचे दिए गए हैं-

  1. कम्पाइलर flexible नही होता है।
  2. इसमें प्रोग्राम को debug करना मुश्किल होता है।
  3. इसमें errors को ढूढ़ना मुश्किल होता है।
  4. अगर प्रोग्राम में कोई बदलाव होता है तो पुरे प्रोग्राम को फिर से compile करना पड़ता है |

Types of compiler in Hindi – कम्पाइलर के प्रकार

इसके दो प्रकार होते है-

  1. One Pass compiler – यह कम्पाइलर केवल एक बार ही code को read करता है और उसे ट्रांसलेट कर देता है।
  2. Multi pass compiler – यह कम्पाइलर code को बहुत बार read और translate करता है।

इसे पूरा पढ़ें:कम्पाइलर के प्रकार

Interpreter in Hindi – इंटरप्रेटर क्या है?

  • Interpreter एक कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो high-level लैंग्वेज में लिखे गए code को machine लैंग्वेज में बदल देता है।

  • यह code को एक-एक लाइन करके मशीन लैंग्वेज में बदलता है। अगर किसी लाइन में कोई error आती है तो जब तक उस error को ठीक नही कर लिया जाता है तब तक यह आगे कोड को ट्रांसलेट नही करता है।

  • Interpreter कोड की प्रत्येक लाइन को ध्यान से check करता है। लाइन के सही होने पर वह उसे सीधे मशीन लैंग्वेज में बदल देता है।

  • इंटरप्रेटर का सबसे पहले प्रयोग 1952 में किया गया था।

  • High level language को केवल इंसानो के द्वारा ही समझा जा सकता है। जिन्हे हम source code भी कहते है। दूसरी और देखे तो computer केवल binary भाषा में लिखे हुए program को ही समझ पाता है। इसलिए interpreter और compiler की ज़रूरत पड़ती है।
interpreter in Hindi

Interpreter कैसे काम करता है ?

किसी भी program को लिखने से पहले Interpreter में memory को load कर दिया जाता है। इसके बाद हम program लिखने की शुरुआत करते है। जैसे जैसे हम high level language में code लिखने लगते है। वैसे वैसे interpreter उस कोड को check करता है।

अगर लिखते समय आपसे कोई गलती हो गई हो। तो interpreter उस line को bold कर देता है। ताकि आप उस कोड में सुधार कर सके।

जब कोई mistake नहीं होती तब interpreter उसको मशीन लैंग्वेज में convert कर देता है।

Advantages of Interpreter in Hindi (इंटरप्रेटर के फायदे)

  1. इसके द्वारा कोड को debug करना काफी ज्यादा आसान है। क्योकि यह कोड को line by line पढ़ता है।
  2. Line by line check करने के कारण गलतियों को ढूढ़ना काफी ज्यादा आसान हो जाता है।
  3. यह compiler की तरह अलग file नहीं बनाते। जिसके कारण memory का use बहुत कम करना पड़ता है।
  4. Interpreter को आप कभी भी रोक कर code को सही कर सकते है।
  5. इसमें mistake होने की संभावना बहुत कम होती है।

Disadvantages of Interpreter in Hindi – इंटरप्रेटर के नुकसान

  1. यह compiler की तुलना में काफी ज्यादा slow काम करता है।
  2. इसकी security बहुत ही कमजोर होती है।
  3. कंप्यूटर में source code को execute करने के लिए हमें Interpreter को install करना पड़ता है।

Assembler in Hindi – असेम्बलर क्या है?

  • Assembler एक ऐसा computer program है जो assembly भाषा में लिखे गए code को machine भाषा में convert करने में मदद करता है।

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “असेम्बलर एक प्रोग्राम है जो असेंबली भाषा को मशीन भाषा में बदल देता है।”

  • असेम्बलर को कभी-कभी assembly language का compiler भी कहते है।
assembler in Hindi

Types of Assembler in Hindi – असेम्बलर के प्रकार

1:- One-Pass Assembler– यह एक प्रकार का Load-and-go assembler है। जो एक ही बार में assembly code को machine code में convert कर देता है। इसमें बार बार काम करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

2:- Multi-Pass/Two-Pass Assembler – इसमें बहुत बार असेंबली कोड को मशीन कोड में बदला जाता है। इसमें बार बार काम करने की जरूरत होती है।

Advantages of Assembler in Hindi – असेम्बलर के फायदे

  1. इसके द्वारा कठिन काम को आसन तरीके से पूरा कर सकते है।
  2. इसमें कम memory space की ज़रूरत पड़ती है।
  3. इसके काम करने की speed तेज है। क्योकि इसमें execution time कम है।
  4. इसका इस्तेमाल  important काम को समय में पूरा करने के लिए किया जाता है।
  5. इसमें Memory location को track करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
  6. यह flexible होता है।

Disadvantage of Assembler in Hindi – असेम्बलर के नुकसान

  1. इसके अंदर code लिखने में काफी ज्यादा समय और मेहनत लगती है।
  2. असेम्बलर आसानी से समझ में नहीं आते। यह काफी ज्यादा complex (कठिन) होते है।
  3. इसमें Syntax को याद करके रखना काफी ज्यादा मुश्किल है।
  4. असेंबली भाषा के लम्बे program को run करने के लिए ज्यादा memory space का इस्तेमाल करना पड़ता है।

Difference between compiler, assembler and interpreter in Hindi – कम्पाइलर, असेम्बलर और इंटरप्रेटर के बीच अंतर

CompilerAssemblerInterpreter
यह पुरे program को scan करता है। और एक ही बार में पुरे program को machine code में convert करता है।यह program को phases में scan करता है।यह एक एक line करके program को scan करता है।
इसको source code को analys करने में काफी ज्यादा समय लगता है।इसमें source code को scan करने में काफी कम समय लगता है।इसमें भी source code को analyze करने में काफी ज्यादा समय लगता है। लेकिन process को जल्दी execute कर दिया जाता है।
इसमें memory space की ज्यादा जरूरत पड़ती है।इसमें ज्यादा memory space की ज़रूरत नहीं पड़ती।इसमें ज्यादा memory space की ज़रूरत नहीं पड़ती।
यह पुरे program को scan करने के बाद गलतियों को ढूढ़ता है।असेम्बलर phases में गलतियों को ढूढ़ता है।यह line by line गलतियों को ढूढ़ता है।
इसके साथ काम करते समय debug करने में काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है।debugging करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।इसके साथ debugging करना काफी आसान होता है।
compiler के कुछ example है C and C++ etc .इसके कुछ उदाहरण – GAS, GNU etc.इसके कुछ example – Ruby and Python etc .
असेंबलर का क्या काम होता है?

इसका काम असेंबली भाषा को मशीन भाषा में बदलने का होता है.

कंपाइलर को हिंदी में क्या कहते हैं?

इसे हिंदी में अनुभाषक कहते है.

Reference:- https://www.geeksforgeeks.org/language-processors-assembler-compiler-and-interpreter/

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