Bridge in Hindi – ब्रिज क्या है और इसके प्रकार

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस आर्टिकल में What is Bridge in Hindi (ब्रिज क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Bridge in Hindi – ब्रिज क्या है?

  • Bridge एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका इस्तेमाल दो या दो से अधिक networks को आपस में connect करने के लिए किया जाता है जिससे कि एक single network का निर्माण किया जा सके।

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “Bridge एक तरह का नेटवर्क डिवाइस होता है जिसका प्रयोग दो अलग अलग नेटवर्को को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है जिससे नेटवर्क आपस में एक-दूसरे से संचार (communication) कर सके।”

  • ब्रिज OSI Model की दूसरी लेयर (data link layer) पर कार्य करता है।

  • ब्रिज intelligent (बुद्धिमान) डिवाइस होती है क्योंकि यह source और destination के MAC Address को पढ़ सकती है।

  • इसका इस्तेमाल दो LAN (Local area network) को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता है।

  • ब्रिज के पास एक input port और एक output port होता है इसलिए यह एक two port device है।

  • ब्रिज OSI मॉडल के second layer मे कार्य करते है इसलिए इसे layer 2 switch के नाम से भी जाना जाता है।

  • ब्रिज भी switch और hub के समान ही होते है इनका इस्तेमाल भी computers के बीच data को भेजने के लिए किया जाता है।

  • Bridge को Adobe bridge या network bridging भी कहा जाता है।
bridge in Hindi computer network
इसका चित्र

Types of Bridge in Hindi – ब्रिज के प्रकार

Bridge के निम्नलिखित प्रकार होते हैं-

types of bridge in Hindi network
  1. Transparent Bridges
  2. Translational Bridges
  3. Source Routing Bridges
  4. Mac layer bridges
  5. Remote bridges

1- Transparent Bridges

Transparent bridge एक ऐसा ब्रिज है जिसकी जानकारी नेटवर्क में मौजूद दूसरी devices को नही होती है।

इस ब्रिज को learning bridge भी कहते हैं। इसका काम MAC address के आधार पर data packets को forward करना या block करना होता है।

ट्रांसपेरेंट ब्रिज में automatic update की सुविधा मौजूद होती है जिसके कारण हमें इसको अपडेट करने की जरूरत नहीं पड़ती, ब्रिज खुद से ही अपडेट हो जाता है।

यह कंप्यूटर नेटवर्क का सबसे प्रसिद्ध bridge है।

2- Translational Bridges

Translational Bridges का इस्तेमाल एक नेटवर्किंग सिस्टम को दुसरे नेटवर्किंग सिस्टम में बदलने के लिए किया जाता है।

यह ब्रिज receive हुए डेटा को translate करता है और यह frame में information को add और remove करने का काम करता है।

उदहारण के लिए दो अलग अलग नेटवर्क जैसे token ring network और Ethernet network को ट्रांसलेशनल ब्रिज की सहायता से आपस में जोड़ा जा सकता है।

3- Source Routing Bridges

Source route bridge को IBM ने token ring नेटवर्क के लिए विकसित किया था। इस ब्रिज में, सभी frames का route (रास्ता) एक फ्रेम के अंदर मौजद होता है।

यह ब्रिज यह निर्णय लेता है कि frame नेटवर्क में कैसे forward होगा।

4- MAC-Layer Bridge

Mac layer bridge को “लोकल ब्रिज” भी कहा जाता है और यह एक तरह के नेटवर्कों को packet filtering और repeating की सुविधा प्रदान करता है।

5- Remote bridge

Remote bridge की सहायता से अलग-अलग locations पर मौजूद networks को जोड़ा जाता है। इसके लिए इसमें modem या leased lines का प्रयोग किया जाता है।

Advantages of Bridge in Hindi – ब्रिज के फायदे

इसके फायदे नीचे दिए गए हैं-

1- Bridge बड़े नेटवर्क को छोटे नेटवर्कों में विभाजित कर देता है जिसके कारण नेटवर्क का ट्रैफिक कम होता है और नेटवर्क आसानी से काम करता है।

2- ब्रिज अलग-अलग प्रकार के नेटवर्को को आपस में जोड़कर नेटवर्क का विस्तार (expansion) करता है।

3- दूसरे network devices की तुलना में Bridge ज्यादा reliable (विश्वसनीय) होते है जिससे नेटवर्क को maintain करना आसान हो जाता है।

4- यह डेटा के बीच होने वाले collision (टकराव) को कम करता है।

5- इसकी मदद से अलग-अलग सेगमेंट को आपस में जोड़ा जा सकता है क्योकि ब्रिज अलग अलग segment और MAC protocol का उपयोग करते है।

6- ब्रिज MAC Layer पर काम करता है जिसकी मदद से यह उच्च स्तर वाले प्रोटोकॉल को transparent बनाता है जिसके चलते एक नेटवर्क को दुसरे नेटवर्क के साथ जुड़ने में आसानी होती है।

Disadvantages of Bridge in Hindi – ब्रिज के नुकसान

1- Hub और repeater की तुलना में ब्रिज को setup करने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है।

यह काफी महंगा नेटवर्किंग डिवाइस होता है जिसके कारण इसका इस्तेमाल केवल LAN में किया जाता है और दूसरे नेटवर्क में इसका इस्तेमाल नही किया जाता।

2- Repeater की तुलना में bridge की स्पीड काफी धीमी (slow) होती है क्योकि यह frame buffer का निर्माण करता है जिसके चलते इसकी स्पीड काफी धीमी हो जाती है।

3- इसमें नेटवर्क की performance अच्छी नहीं होती क्योकि ब्रिज MAC address को देखकर ज्यादा मात्रा में प्रोसेसिंग करता है जिसकी वजह से इसकी परफॉरमेंस down हो जाती है।

4- ब्रिज broadcast traffic को फ़िल्टर नहीं कर पाता, इसलिए यह केवल broadcast traffic को आगे forward कर देता है।

Applications of Bridge in Hindi – ब्रिज के अनुप्रयोग

इसका प्रयोग निम्नलिखित जगहों पर किया जाता है-

1- Bridge का इस्तेमाल दो अलग अलग LAN (Local Area Network) को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।

2- इसका प्रयोग लोकल एरिया नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है या फिर कहे ब्रिज का प्रयोग करके LAN नेटवर्क की छमता को बढ़ाया जाता है।

3- इसका प्रयोग data को forward और discard (निरस्त) करने के लिए किया जाता है।

4- ऐसे मामलो में जहा पर MAC address का पता नहीं चल पाता है वहा पर ब्रिज का प्रयोग करके MAC address का पता लगाया जा सकता है।

सरल शब्दो में कहे तो ब्रिज का उपयोग MAC address को खोजने के लिए किया जाता है।

5- Bridges का इस्तेमाल एक बड़े नेटवर्क को बहुत सारें छोटे नेटवर्कों में divide (विभाजित) करने के लिए किया जाता है।

6- इसका प्रयोग बहुत सारे virtual lan को आपस में जोड़ने के लिए किया जा सकता है।

7- Wireless bridge का इस्तेमाल वायरलेस नेटवर्को को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।

Functions of Bridge in Hindi – ब्रिज के कार्य

इसके काम नीचे दिए गए हैं-

1- यह बड़े LAN (Local Area Network) को छोटे छोटे नेटवर्क में विभाजित (divide) करने का काम करता है।

2- यह नेटवर्क में प्रयोग किये जाने वाले MAC address को कंप्यूटर में स्टोर करता है।

3- इसका काम नेटवर्क में ट्रैफिक को कम करने का होता है।

इसे पढ़ें:- Router क्या है और इसके प्रकार

Difference between Bridge and Router in Hindi – ब्रिज और राउटर के बीच अंतर

इनके बीच अंतर को इस table के आधार पर आसानी से समझ सकते हैं-

BridgeRouter
ब्रिज data link layer पर कार्य करता है.यह network layer पर कार्य करता है.
इसमें data और information को पैकेट के रूप में ट्रान्सफर नहीं किया जाता.इसमें data और information को पैकेट के रूप में ट्रान्सफर किया जाता है.
Bridge में केवल दो ports होते हैं.इसमें दो से अधिक ports होते हैं.
इसमें routing table का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.इसमें routing table का इस्तेमाल किया जाता है.
इसे configure करना आसान होता है.इसे configure करना मुश्किल होता है.
ये सस्ते होते हैं.राऊटर का मूल्य अधिक होता है.

Working of Bridge in Hindi – ब्रिज की कार्यविधि

Bridge किसी भी प्रकार के डेटा को भेजने से पहले उसके destination address को check करता है अगर उसको वह destination address मिल जाता है तो वह डेटा को उस address पर भेज देता  है, अगर उसको वह address नहीं मिलता है तो वह उस data को आगे ट्रान्सफर नहीं करता है।

ब्रिज OSI मॉडल की दूसरी layer मे काम करता है। यह केवल traffic को broadcast ही नहीं करता है बल्कि यह उसको manage भी करता है। ब्रिज frames को network segments मे transmit करने के लिए Media Access Control (MAC) table का use करता है।

ब्रिज कितने प्रकार के होते हैं?

इसके 5 प्रकार होते हैं – Transparent, Translational, Source routing, Mac layer, और Remote

कंप्यूटर में ब्रिज क्या होता है?

यह एक network device होता है जिसका इस्तेमाल दो नेटवर्कों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है.

Reference:- https://www.tutorialspoint.com/what-are-bridges-in-computer-network

निवेदन:- अगर आपके लिए What is Bridge in Hindi (ब्रिज क्या है?) का यह पोस्ट उपयोगी रहा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य share कीजिये. और आपके जो भी questions हो उन्हें नीचे comment करके बताइए. धन्यवाद.

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