Distributed Operating System in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस आर्टिकल में (Distributed Operating System in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Distributed Operating System in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

  • Distributed Operating System एक सॉफ्टवेयर होता है जो यूजर और कंप्यूटर के बीच इंटरफेस की तरह कार्य करता है।
  • डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो डेटा को स्टोर करता है और उसे बहुत सारें locations पर डिस्ट्रीब्यूट कर देता है।
  • Distributed Operating System एक प्रोग्राम है जिसमे एक ही कम्युनिकेशन चैनल के माध्यम से कई कंप्यूटर आपस में जुड़े होते है।
  • यह बहुत सारें real time applications और users को सेवाएं प्रदान करने के लिए बहुत सारें central processors का इस्तेमाल करता है।
  • Distributed ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सारें central processors का प्रयोग किया जाता है और इन central processors के बीच jobs को डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाता है।
  • डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का extension है जो हाई लेवल कम्युनिकेशन को सपोर्ट करता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम को अलग अलग CPU में चलाया जा सकता है जो end user के लिए एक सेंट्रल ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में कार्य करता है।
  • डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम जिसे शार्ट फॉर्म में हम DOS कहते है।
  • डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण हैं – LOCUS और MICROS.
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Types of Distributed operating system in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

इसके प्रकार नीचे दिए गए हैं –

1- Client Server System (क्लाइंट सर्वर सिस्टम)

क्लाइंट सर्वर सिस्टम में, क्लाइंट के द्वारा सर्वर को संसाधनों (resources) के लिए request की जाती है। इसके बाद सर्वर, क्लाइंट को resource प्रदान करता है।

एक क्लाइंट एक समय में केवल एक ही सर्वर के साथ सम्पर्क (contact) रख सकता है। जबकि एक सर्वर कई क्लाइंट के साथ सम्पर्क रखता है।

क्लाइंट और सर्वर कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से सिस्टम के साथ जुड़े होते है। इस सिस्टम को Tightly Coupled के नाम से भी जाना जाता है जो एक सेंट्रल सर्वर के रूप में कार्य करता है।

2- Peer to Peer System (पीयर टू पीयर सिस्टम)

Peer to peer system का इस्तेमाल छोटे आकार के नेटवर्क और फाइलों को शेयर करने के लिए किया जाता है। पीयर-टू-पीयर OS का इस्तेमाल LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) में भी किया जाता है। यह शेयर किये गए संसाधनों (resources) को ट्रांसफर करने में मदद करता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम को स्थापित (establish) करना होता है।

इसे Loosely coupled system भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल कंप्यूटर नेटवर्क में किया जाता है।

3 – Middleware (मिडिलवेयर)

मिडिलवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम के बिच एक सॉफ्टवेयर लेयर होती है जिसका इस्तेमाल डेटा को एक ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग में किया जाता है ताकि सॉफ्टवेयर को विकसित (develop) करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।

4- Three-tier (थ्री टायर)

यह एक एक क्लाइंट-सर्वर आर्किटेक्चर होता है जिसमें तीन tier होते है. पहला Presentation tier, दूसरा Application tier और तीसरा Database tier. यही कारण है की इसे three tier कहते है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से ऑनलाइन एप्लीकेशन में किया जाता है।

5- N-tier

N-tier का इस्तेमाल एप्लीकेशन को लॉजिकल और फिजिकल टियर में विभाजित (divide) करने के लिए किया जाता है।

Advantages of Distributed operating system in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे

1- Distributed OS का एक फायदा यह है कि अगर users एक कंप्यूटर पर है तो वह किसी दूसरे कंप्यूटर का डेटा / रिसोर्स को एक्सेस कर सकता है.

2- यह data corruption को कम करने में मदद करता है।

3- इसमें डेटा का आदान प्रदान ईमेल के द्वारा भी किया जाता है जिससे डेटा आदान-प्रदान की गति बढती है.यह डेटा को शेयर करने की स्पीड को बढ़ाता है।

4- यह डेटा प्रोसेसिंग के समय को कम करता है जिसके कारण कार्य तेज गति से पूरा हो जाता है।

5- इसमें यदि एक कंप्यूटर खराब हो जाती है तो इसका प्रभाव दूसरे कंप्यूटर पर नहीं पड़ता।

Disadvantages of Distributed operating system in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के नुकसान

1- Distributed OS में सुरक्षा (security) कम होती है।

2- इससे जुड़े डेटाबेस को मैनेज करना मुश्किल है।

3- इस ऑपरेटिंग सिस्टम को समझना मुश्किल होता है।

4- यह ऑपरेटिंग सिस्टम काफी महंगा होता है।

5- इसमें संचार (communication) करने में ज्यादा समय लग सकता है।

Features of Distributed Operating System in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं

इसके निम्नलिखित प्रकार होते है:-

1- Resources Sharing (रिसोर्स शेयरिंग)

डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर को सुरक्षित तरीके से संसाधनों (resources) शेयर करने की अनुमति (permission) देता है। इसमें यूजर संसाधनों को पूरी तरह से कण्ट्रोल कर सकता है। इसमें प्रिंटर, फाइल, डेटा, स्टोरेज, वेब पेज जैसे संसाधनों को शेयर किया जाता है।

2- Flexibility (फ्लेक्सिबिलिटी)

यह ऑपरेटिंग सिस्टम पूरी तरह से flexible है जो हाई लेवल और एडवांस सर्विस प्रदान करता है।

3- Scalability (स्कैलेबिलिटी)

यह स्केलेबल है जिसे बढ़ाया (expand) जा सकता है।

4- Transparency (ट्रांसपेरेंसी)

यह DOS की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। DOS संसाधनों को शेयर करते वक़्त इन्हें छुपा (hide) देता है ताकि संसाधन सुरक्षित तरीके से शेयर किये जा सके। Transparency में यूजर इस बात से अनजान रहता है कि जिन संसाधनों को वो एक्सेस कर रहा है वह पहले से ही शेयर किये जा चुके है।

5- Heterogeneity (हेटरोजेनिटी)

Heterogeneity का अर्थ होता है की DOS के कॉम्पोनेन्ट अलग अलग हो सकते है। उदहारण के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्क, प्रोग्रामिंग भाषा, कंप्यूटर हार्डवेयर यह सभी कॉम्पोनेन्ट एक दुसरे से अलग होते है।

Applications of Distributed Operating System in Hindi – डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुप्रयोग

1- डायट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल नेटवर्क एप्लीकेशन में किया जाता है जिसमे वेब, पीयर-टू-पीयर नेटवर्क, मल्टीप्लेयर वेब-आधारित गेम शामिल है।

2- इसका इस्तेमाल फ़ोन और सेलुलर नेटवर्क में किया जाता है। इसमें इंटरनेट, वायरलेस सेंसर नेटवर्क और रूटिंग एल्गोरिदम जैसे नेटवर्क होते है।

3- इसका इस्तेमाल रियल टाइम प्रोसेस कण्ट्रोल में किया जाता है। उदहारण के लिए aircraft control system

4- इसका इस्तेमाल इंटरनेट टेक्नोलॉजी में किया जाता है।

5- इसका उपयोग एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल सिस्टम में किया जाता है।

6- इसका उपयोग क्लस्टर और ग्रिड कंप्यूटिंग में किया जाता है।

7- इसका इस्तेमाल Peep-to-peer में किया जाता है।

Distributed और Network operating system के बीच अंतर

Distributed operating systemNetwork Operating System
डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य हार्डवेयर संसाधनों को मैनेज करना है।नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य रिमोट क्लाइंट को सेवाएं प्रदान करना होता है।
इसमें संचार (communication) सन्देश और शेयर मेमोरी के आधार पर किया जाता है।इसमें संचार (communication) फाइलों के आधार पर किया जाता है।
यह नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में कम scalable होता है।यह अधिक scalable होता है।
इसमें fault tolerance अधिक है।इसमें fault tolerance कम है।
इसे implement करना मुश्किल है।इसे implement करना आसान है।
इसमें सभी nodes में एक ही ऑपरेटिंग सिस्टम होता है।इसमें सभी nodes में अलग अलग ऑपरेटिंग सिस्टम होता है।
इसके उदहारण :- LOCUS , MICROS , इरिस आदि।इसके उदहारण :- Linux , Mac OS X, Novell NetWare आदि।

Exam में पूछे जाने वाले प्रश्न

डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो डेटा को स्टोर करता है और उसे बहुत सारें locations पर डिस्ट्रीब्यूट कर देता है.

डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम के कितने प्रकार होते है?

इसके पांच प्रकार होते है.

Reference:– https://www.javatpoint.com/distributed-operating-system

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