Components of Network in Hindi – नेटवर्क के घटक

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में Components of Network in Hindi (नेटवर्क के घटकके बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Components of Network in Hindi – नेटवर्क के घटक

कंप्यूटर नेटवर्क के बहुत सारें components होते हैं जिनके बारें में नीचे दिया गया है :-

components of network in Hindi
components of network in Hindi

1. Server (सर्वर)

सर्वर बहुत ही शक्तिशाली कंप्यूटर होता है जो डेटा को स्टोर करके रखता है और जब भी यूज़र request करता है तो यह इस डेटा को यूज़र को प्रदान करता है।

सर्वर कंप्यूटर नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण घटक (component) है जिसका उपयोग दुसरे डिवाइस या कंप्यूटर को डेटा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा server नेटवर्क संसाधनों (resources) को manage भी करता है।

सर्वर को नेटवर्क के ऑपरेटिंग सिस्टम में स्थापित (establish) किया जाता है। यह यूजर को नेटवर्क संसाधनों तक पहुंचने में मदद करता है।

सर्वर का काम फाइलों, प्रोग्राम, डेटा और एप्लीकेशन को ऑपरेटिंग सिस्टम में रखना होता है। सर्वर को होस्ट कंप्यूटर के नाम से भी जाना जाता है।

सर्वर कई प्रकार के होते है:- फ़ाइल सर्वर, प्रिंट सर्वर, एप्लीकेशन सर्वर, मेल सर्वर, संचार सर्वर, डेटाबेस सर्वर, फैक्स सर्वर और वेब सर्वर आदि।

इसे पूरा पढ़ें:- सर्वर क्या है और इसके प्रकार

2. Client (क्लाइंट)

क्लाइंट एक कंप्यूटर या प्रोग्राम होता है जो सर्वर को request करता है, सर्वर इस request के आधार पर क्लाइंट को डेटा प्रदान करता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, “क्लाइंट एक प्रकार का कंप्यूटर है जो यूजर को network resources (नेटवर्क संसाधनों) तक पहुंचने और उनका उपयोग करने के लिए सर्वर से request करता है।” 

Client का इस्तेमाल सर्वर के साथ संचार (communication) करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल हार्ड डिस्क और प्रिंटर को एक्सेस करने के लिए भी किया जाता है।

उदाहरण के लिए – माना कि किसी व्यक्ति ने लैपटॉप से वेबसाइट पे अपना रिजल्ट देखा। सबसे पहले उसने वेबसाइट में अपना रोल नंबर डाला और उसके बाद उस व्यक्ति को उसका रिजल्ट देखने को मिल गया। इस स्थिति में वेबसाइट एक सर्वर का काम करेगी क्यूंकि उसने request लेकर यूजर को result प्रदान किया और लैपटॉप क्लाइंट होगा क्यूंकि उसके द्वारा रिक्वेस्ट की गयी।

3. Transmission Media (ट्रांसमिशन मीडिया)

ट्रांसमिशन मीडिया सूचना या डेटा को sender से receiver तक पहुंचाने का एक रास्ता (path) होता है.

दूसरे शब्दों में कहें तो, “ट्रांसमिशन मीडिया एक चैनल है जिसका इस्तेमाल एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डेटा को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

ट्रांसमिशन मीडिया के दो प्रकार होते हैं –

  1. Guided media
  2. Unguided media

वह मीडिया जिसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए किसी wire (तार) या केबल का इस्तेमाल किया जाता है उसे Guided media या wired media कहते हैं। इसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल और coaxial cable का उपयोग किया जाता है।

वह मीडिया जिसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए किसी wire (तार) या केबल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है उसे Unguided media या wireless media कहते हैं। इसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए Radio waves और Microwaves का उपयोग किया जाता है।  

इसे पूरा पढ़ें:- ट्रांसमिशन मीडिया क्या है और इसके प्रकार

4. Networking Device (नेटवर्किंग डिवाइस)

नेटवर्किंग डिवाइस वे डिवाइस होते हैं जिनके द्वारा दो या से अधिक कंप्यूटर को आपस में जोड़कर एक नेटवर्क बनाया जाता है, जिससे वे कंप्यूटर आपस में कम्यूनिकेट कर सकते हैं, और डेटा तथा रिसोर्स को आपस में share कर सकते हैं। Networking Device को Connecting Device भी कहते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो, “नेटवर्किंग डिवाइस वह डिवाइस होते है जो क्लाइंट और सर्वर को चैनल से जोड़ते हैं। इन डिवाइस को इंटरफ़ेस डिवाइस के नाम से भी जाना जाता है।”

Networking Device नेटवर्क और कंप्यूटर के बीच मिडलवेयर (middleware) के रूप में कार्य करते हैं। नेटवर्किंग डिवाइस बहुत से प्रकार के होते है जिनके बारे में निचे बताया गया है।

Types of Networking Device in Hindi – नेटवर्किंग डिवाइस के प्रकार

(I). Router (राउटर)

राऊटर एक ऐसा नेटवर्किंग डिवाइस होता है, जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में डाटा पैकेट को ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है। इसमें नेटवर्क के बीच डाटा को पैकेट के रूप में भेजा जाता है। राउटर OSI मॉडल की तीसरी लेयर पर काम करता है।

Router एक ऐसा डिवाइस है जो यूजर को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करता है। अर्थात इसका प्रयोग यूजर के द्वारा इंटरनेट को access करने के लिए किया जाता है।

इसे पढ़ें:राऊटर क्या है और इसके प्रकार

(II). Bridge (ब्रिज)

Bridge एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका इस्तेमाल दो या दो से अधिक networks को आपस में connect करने के लिए किया जाता है जिससे कि एक single network का निर्माण किया जा सके।

ब्रिज OSI मॉडल की दूसरी लेयर में काम करता है इसलिए इसे layer 2 switch के नाम से भी जाना जाता है।

ब्रिज के पास एक input port और एक output port होता है इसलिए यह एक two port device है।

Bridge डेटा को भेजने से पहले destination एड्रेस को check करता है, यदि bridge को डेस्टिनेशन एड्रेस मिल जाता है तो वह डेटा को भेजता है अन्यथा वह डेटा को ट्रांसमिट नहीं करेगा.

(III). Hub (हब)

हब एक ऐसा डिवाइस है जो नेटवर्क में बहुत से डिवाइस को आपस में कनेक्ट करता है। इस डिवाइस का उपयोग ज्यादातर दो या दो से अधिक डिवाइस को नेटवर्क में जोड़ने के लिए किया जाता है। यह भी एक प्रकार का नेटवर्किंग डिवाइस है जिसमे बहुत प्रकार के पोर्ट होते है।

हब OSI model के लेयर 1 (फिजिकल लेयर) में कार्य करता है।

इसे पढ़ें:- हब क्या है और इसके प्रकार

(IV). Repeater (रिपीटर)

Repeater एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका प्रयोग signal को नष्ट होने से पहले regenerate (दुबारा से जनरेट) करने के लिए किया जाता है। सिग्नल को regenerate इसलिए किया जाता है क्योंकि जब सिग्नल एक जगह से दूसरी जगह में जाते है तो वह weak (कमजोर) होते जाते है इसलिए सिग्नल के नष्ट होने से पहले दुबारा generate किया जाता है जिससे कि सिग्नल नष्ट ना हो।

रिपीटर OSI मॉडल की Physical Layer पर काम करता है। रिपीटर का इस्तेमाल मुख्यतः दो LAN कनेक्शन को जोड़ने के लिए किया जाता है.

रिपीटर दो प्रकार का होता है analog repeater तथा digital repeater. एनालॉग रिपीटर सिग्नल को केवल amplify करता है. जबकि डिजिटल रिपीटर सिग्नल को reconstruct करके उसमें से errors को हटाके आगे भेजते है।

(V). Gateway (गेटवे)

Gateway एक हार्डवेयर डिवाइस होती है जो कि एक दरवाजे की तरह काम करती है। गेटवे एक बहुत महत्वपूर्ण नेटवर्क डिवाइस है जिसके द्वारा ही हम अपने कंप्यूटर या अन्य डिवाइस में इंटरनेट एक्सेस कर पाते हैं।

गेटवे ही वह डिवाइस होती है जो दो विभिन्न प्रोटोकॉल वाले नेटवर्क को आपस में जोडती है, और डाटा का आदान प्रदान करने में सुविधा देती है।

गेटवे एक नेटवर्क के लिए Entry और दुसरे के लिए Exit Point के रूप में काम करता है, क्योंकि सभी डेटा को रूट किये जाने से पहले गेटवे से गुजरना पड़ता है।

इसे पढ़ें:- गेटवे क्या है और इसके प्रकार

(VI). Switch (स्विच)

स्विच एक नेटवर्किंग डिवाइस है जो दो नेटवर्क डिवाइसों को आपस में जोड़ने का काम करता है। इस डिवाइस को multiport bridge के नाम से भी जाना जाता है। स्विच का इस्तेमाल LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) को कंप्यूटर के साथ जोड़ने के लिए भी किया जाता है।

यह OSI Model के लेयर 2 (डेटा लिंक लेयर) में कार्य करता है। लेकिन आजकल ऐसे स्विच भी आ गये है जो कि OSI model के लेयर 3 (नेटवर्क लेयर) में कार्य करते है।

नेटवर्क में जब एक कंप्यूटर दुसरे कंप्यूटर को डाटा भेजता है तो वह डाटा के साथ – साथ Destination कंप्यूटर का MAC Address भी भेजता है. जब डाटा स्विच के पास पहुँचता है तो स्विच Destination कंप्यूटर के MAC एड्रेस को Check करता है और डाटा को सही डिवाइस के पास पहुंचा देता है।

इसे पढ़ें:- स्विच क्या है और इसके प्रकार

5. Networking Operating System (नेटवर्क आपरेटिंग सिस्टम)

Network Operating System एक सॉफ्टवेयर होता है जिसका इस्तेमाल बहुत सारी डिवाइसो और कंप्यूटरों को एक नेटवर्क के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है।

आसान शब्दों में कहें तो, “Network OS एक प्रकार का इंटरफ़ेस है जो नेटवर्क पर कई डिवाइस को आपस में जोड़ता है और संसाधनों (resources) को शेयर करने में मदद करता है।”

इस ऑपरेटिंग सिस्टम को नेटवर्क पर कई कंप्यूटर के बीच एप्लीकेशन, फाइलों, और प्रिंटर को शेयर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

6. Local Operating System (लोकल ऑपरेटिंग सिस्टम)

लोकल ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर को फाइलों तक पहुंचने में मदद करता है। यह डिस्क और CD drive को स्टोर करने और उपयोग करने में मदद करता है।

7. Protocol Suite (प्रोटोकॉल सूट)

प्रोटोकॉल Set of Rules (नियमों का समूह) है जिनका पालन कंप्यूटर के द्वारा कम्युनिकेशन के दौरान किया जाता है। प्रोटोकॉल के द्वारा ही यह तय होता है, कि Computer Network पर data कैसे transmit होगा और कैसे receive होगा।

8. Shared data (शेयर्ड डेटा)

Shared data एक प्रकार का डेटा होता है जिसे सर्वर के द्वारा क्लाइंट को दिया जाता है। उदहारण के लिए डेटा फ़ाइलें, प्रिंटर एक्सेस प्रोग्राम और ई-मेल आदि।

9. Network Interface Card (NIC)

नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) एक हार्डवेयर है जिसके बिना कंप्यूटर को नेटवर्क से नहीं जोड़ा जा सकता है। यह एक कंप्यूटर में इनस्टॉल सर्किट बोर्ड होता है जो कंप्यूटर को नेटवर्क कनेक्शन प्रदान करता है। इसे नेटवर्क इंटरफेस कंट्रोलर, नेटवर्क एडॉप्टर, ईथरनेट या लैन एडेप्टर भी कहा जाता है।

10. Peer (पीयर)

यह एक ऐसा कंप्यूटर है जो वर्कग्रुप नेटवर्क में अन्य peers के साथ सेवाएं प्रदान करते हैं और प्राप्त करते हैं।

इसे पढ़ें:- नेटवर्क क्या है और इसके प्रकार

reference:- https://www.javatpoint.com/computer-network-components

निवेदन:- अगर आपके लिए Components of Network in Hindi (नेटवर्क के घटक) का यह पोस्ट उपयोगी रहा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य share कीजिये. और आपके जो भी questions हो उन्हें नीचे comment करके बताइए. धन्यवाद.

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