प्रोटोकॉल क्या है और इसके प्रकार – Protocol in Hindi & Types

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is Protocol in Hindi & Types (प्रोटोकॉल क्या है और इसके प्रकार) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Protocol in Hindi – प्रोटोकॉल क्या है?

  • Protocol नियमों का एक समूह होता है जिसका इस्तेमाल एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डेटा को ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है.

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “प्रोटोकॉल नियमों (rules) का एक समूह (set) होता है जिसका उपयोग data को send और receive करने के लिए किया जाता है.”

  • प्रोटोकॉल शब्द का मतलब है “नियमों का समूह”. कंप्यूटर नेटवर्क में data के आदान-प्रदान के लिए भी कुछ नियम बनाये गये हैं जिसे ही प्रोटोकॉल कहा जाता है।

  • कंप्यूटर नेटवर्क में, प्रोटोकॉल का प्रयोग डिवाइसों और कंप्यूटरों के बीच डेटा को format करने, transmit करने और receive करने के लिए किया जाता है.”

  • बिना protocol के हम इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते है.

  • उदाहरण के लिए– HTTP एक हाइपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल इन्टरनेट में files को ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है.

Types of Protocol in Hindi – प्रोटोकॉल के प्रकार

Protocol के बहुत सारें प्रकार होते हैं जिनके बारें में नीचे बताया गया है:-

  1. TCP
  2. IP
  3. UDP
  4. POP
  5. SMTP
  6. FTP
  7. HTTP
  8. HTTPS
  9. Telnet
  10. Gopher

1- TCP

TCP का पूरा नाम Transmission Control Protocol (ट्रांसमिशन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल) है। यह एक ऐसा प्रोटोकॉल है जो IP (इंटरनेट प्रोटोकॉल) के साथ काम करता है। यह एक ट्रांसपोर्ट लेयर प्रोटोकॉल जिसका इस्तेमाल अलग अलग डिवाइस के बिच संचार (communication) करने के लिए किया जाता है।

इस प्रोटोकॉल का उपयोग करके हम सूचनाओं को ट्रांसफर कर सकते है। इस प्रोटोकॉल का मुख्य कार्य डेटा को छोटे छोटे टुकड़ो में तोडना होता है और इस डेटा को IP लेयर पर भेजना होता है।

यह प्रोटोकॉल हमे यह बताता है की एक कंप्यूटर दुसरे कंप्यूटर को कैसे डेटा भेजता है। यह प्रोटोकॉल नेटवर्क में कंप्यूटिंग डिवाइस के बीच होने वाले संचार से पहले कनेक्शन को स्थापित (establish) करता है।

TCP के फायदे –

  1. यह एक विश्वसनीय (reliable) प्रोटोकॉल है।
  2. इसमें डेटा के प्रवाह (flow) को नियंत्रित (control) किया जा सकता है।
  3. यह इनफार्मेशन या डेटा को ट्रांसफर करने में मदद करता है।
  4. इसमें एक समय में डेटा को दोनों दिशाओ (directions) में ट्रांसफर किया जा सकता है।

TCP के नुकसान –

  1. इस प्रोटोकॉल को WAN (वाइड एरिया नेटवर्क) के लिए बनाया गया है। इसलिए इसका इस्तेमाल छोटे नेटवर्क में करना मुश्किल होता है।
  2. यह नेटवर्क की स्पीड को धीमा कर देता है।
  3. यह ब्लूटूथ कनेक्शन के साथ काम नहीं कर सकता है।

2- IP

इसका पूरा नाम Internet protocol (इंटरनेट प्रोटोकॉल) होता है। यह कई नियमो का एक समूह (set) है जिसका इस्तेमाल इंटरनेट पर कम्युनिकेशन करने और डेटा ट्रांसफर की प्रक्रिया को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल डेटा पैकेट को source से destination तक भेजने के लिए किया जाता है।

इस प्रोटोकॉल को TCP/IP या UDP/IP के नाम से भी जाना जाता है जो connectionless (कनेक्शन रहित) सेवाएं प्रदान करता है।

इंटरनेट प्रोटोकॉल का पहला वर्शन IPv4 था। इसके बाद 2006 में इसका दूसरा वर्जन बजार में आया जिसका नाम IPv6 था। यह एक लोकप्रिय प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल तेजी से किया जाने लगा।

IP के फायदे –

  1. इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) का इस्तेमाल किसी व्यक्ति या organization के द्वारा किया जा सकता है।
  2. यह scalable होता है।
  3. यह विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर में नेटवर्क को स्थापित करने में मदद करता है।
  4. यह बहुत सारें नेटवर्क रूटिंग प्रोटोकॉल को सपोर्ट करता है।
  5. यह स्वतंत्र (independent) रूप से काम करता है।

IP के नुकसान –

  1. यह एक जटील (complex) प्रोटोकॉल है जिसे स्थापित करना कठिन होता है।
  2. इसे manage करना थोड़ा कठिन होता है।
  3. इस प्रोटोकॉल को बदलना आसान नहीं है।
  4. यह LAN जैसे छोटे नेटवर्क के लिए लोकप्रिय नहीं है।

3- UDP

UDP का पूरा नाम User Datagram Protocol (यूजर डायग्राम प्रोटोकॉल) होता है। यह एक transport layer कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग इंटरनेट पर कम्युनिकेशन के लिया किया जाता है।

UDP में डेटा को ट्रांसफर करने से पहले कनेक्शन को स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती क्योकि यह एक connection-less (कनेक्शन रहित) प्रोटोकॉल है।

इस प्रोटोकॉल का उपयोग ज्यादातर मनोरंजन जैसे (गेम खेलने , वीडियो देखने ) के लिए किया जाता है। यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का एक हिस्सा होता है जो TCP की तुलना में कम विश्वसनीय (reliable) होता है।

UDP के फायदे –

  1. इसमें डेटा को ट्रांसफर करने से पहले कनेक्शन को स्थापित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  2. यह मल्टीकास्टिंग के लिए suitable (उपयुक्त) होता है।
  3. यह तेज गति से कार्य करने वाला प्रोटोकॉल है।

UDP के नुकसान –

  1. यह TCP की तुलना में कम  विश्वशनीय (reliable) होता है।
  2. यह error control का उपयोग नहीं कर सकता।
  3. इसमें त्रुटि (error) का पता लगाना मुश्किल होता है।

इसे पूरा पढ़ें – UDP क्या है?

4- POP

POP का पूरा नाम Post Office Protocol (पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल) होता है। यह एक एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल ईमेल (email) भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

इस प्रोटोकॉल का उपयोग मैसेज ट्रांसफर एजेंट के रूप में किया जाता है जो क्लाइंट से सर्वर तक और फिर server तक message को भेजने में मदद करता है। यह दो प्रकार के होते है पहला POP3 और दूसरा IMAP .

POP के फायदे-

  1. इस प्रोटोकॉल के माध्यम से यूजर ऑफलाइन रहकर भी ईमेल को पढ़ सकता है।
  2. इसमें सर्वर से ईमेल डाउनलोड करते समय केवल इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता पड़ती है।
  3. POP प्रोटोकॉल में हमे ईमेल को पढ़ने के लिए स्थाई इंटरनेट (permanent internet) कनेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती। क्योकि एक बार ईमेल डाउनलोड हो जाने के बाद हम इन्हे बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी पढ़ सकते है।
  4. इसका उपयोग करना आसान है।
  5. इसे configure (कॉन्फ़िगर) करना सरल है।

POP के नुकसान –

  1. यदि सर्वर से ईमेल डाउनलोड किए जाते हैं, तो सर्वर से सभी मेल को डिफ़ॉल्ट रूप से हटा दिया जाता है जिसके कारण दूसरे कंप्यूटर ईमेल को एक्सेस नहीं कर पाते।
  2. इसमें मेल फोल्डर को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करना मुश्किल होता है।
  3. इस प्रोटोकॉल में वायरस फैलना का खतरा बना रहता है।
  4. मेल सर्वर से डाउनलोड किया गया ईमेल फ़ोल्डर corrupt हो सकता है।

5- SMTP

SMTP का मतलब Simple Mail Transfer Protocol (सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) होता है। इसका इस्तेमाल सॉफ्टवेयर के द्वारा इंटरनेट पर ईमेल (email) को भेजने के लिए किया जाता है।

SMTP भी POP की तरह ही है इसका इस्तेमाल भी ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

इस प्रोटोकॉल में बहुत से communication guidelines होते है जो ईमेल को ट्रांसफर करने में मदद करते है। इसमें हम वीडियो , चित्र , ऑडियो और ग्राफ़िक्स जैसे डेटा को भेज सकते है।

SMTP के फायदे –

  1. इस प्रोटोकॉल का उपयोग करके हम एक या एक से अधिक लोगों को ईमेल या मैसेज भेज सकते है।
  2. इसमें सभी प्रकार के फॉरमेट में डेटा को भेजा जा सकता है जैसे :- टेक्स्ट ऑडियो, वीडियो या ग्राफिक्स आदि।

SMTP के नुकसान –

  1. यह प्रोटोकॉल कम सुरक्षित होते है।
  2. इसमें मैसेज या डेटा को भेजने में ज्यादा समय लग सकता है।

6- FTP

FTP का पूरा नाम फ़ाइल ट्रान्सफर प्रोटोकॉल (File Transfer Protocol) होता है। यह एक एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग फाइलों को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

यह प्रोटोकॉल कंप्यूटर में web page को ट्रांसफर करने में मदद करता है। इस प्रोटोकॉल को TCP/IP के द्वारा विकसीत (develop) किया गया है। इसका उपयोग करके यूजर सर्वर से फाइलों को download कर सकता है।

यह फाइलों को एक transfer करते वक़्त तीन अलग अलग mode का उपयोग करता है, Block, stream और compressed.

इसके दो कनेक्शन होते है पहला कण्ट्रोल कनेक्शन और दूसरा डाटा कनेक्शन।

FTP के फायदे –

  1. यह फाइलों को तेज गति के साथ ट्रांसफर कर सकता है।
  2. इसका उपयोग करना आसान होता है।
  3. यह HTTP की तुलना में काफी तेज होता है।
  4. यह एक सुरक्षित प्रोटोकॉल है।
  5. यह बड़ी आकार वाली फाइलों को ट्रांसफर करने में सक्षम होता है।

FTP के नुकसान –

  1. यह प्रोटोकॉल फाइलों को ट्रांसफर करते वक़्त encryption की सुविधा प्रदान नहीं करता जिसकी वजह से hackers फाइलों को आसानी से चोरी कर सकते है.
  2. FTP में बहुत कम यूजर ही मोबाइल डिवाइस को एक्सेस कर सकते है।
  3. इसमें त्रुटि (error) को पहचानना काफी मुश्किल होता है।
  4. इसमें वायरस को scan करना कठिन होता है।

7 – HTTP

HTTP का पूरा नाम Hyper Text Transfer Protocol (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल) है। यह एक प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग वर्ल्ड वाइड वेब (www) यानी कि इन्टरनेट में डेटा को एक्सेस करने के लिए किया जाता है।

यह प्रोटोकॉल डेटा को प्लेन टेक्स्ट, हाइपरटेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो आदि के रूप में ट्रांसफर करता है। यह FTP के समान होता है क्योंकि यह फ़ाइलों को एक होस्ट से दूसरे होस्ट में ट्रांसफर करता है। और FTP भी यही काम करता है।

यह FTP की तुलना में काफी सरल होता है क्योकि यह फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए एक कनेक्शन का उपयोग करता है। यह SMTP के समान भी होता है क्योकि यह क्लाइंट और सर्वर के बीच डेटा को ट्रांसफर ट्रांसफर करता है।

HTTP के फायदे –

  1. यह एक लचीला (flexible) प्रोटोकॉल है।
  2. यह बहुत कम CPU मेमोरी का उपयोग करता है जिसके कारण सिस्टम की performance बरकरार रहती है।
  3. यह एक तेज प्रोटोकॉल है।

HTTP के नुकसान

  1. यह मोबाइल के लिए suitable (उपयुक्त) नहीं होता।
  2. यह SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) फ्रेंडली नहीं होता।
  3. यह डेटा को सुरक्षित तरीके से ट्रान्सफर नहीं करता।

8 – HTTPS

इसका पूरा नाम (Hyper Text Transfer Protocol Secure) होता है। यह HTTP का एक encrypted version है जिसका इस्तेमाल ज्यादतर ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है।

HTTPS का इस्तेमाल वेबसाइट को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है जिससे कि कोई भी hacker वेबसाइट को हैक नहीं कर पाता और यूजर का डेटा चोरी नहीं कर पाता.

इस प्रोटोकॉल का उपयोग करके हम ब्राउज़र से किसी भी वेबसाइट के साथ संचार (communication) कर सकते है। यह एक सुरक्षित प्रोटोकॉल है जिसमे ब्राउज़र तथा वेबसाइट के बिच जितना भी कम्युनिकेशन होता है वह encrypted होता है।

HTTPS के फायदे

  1. यह काफी सुरक्षित प्रोटोकॉल होता है।
  2. यह SEO friendly होता है।
  3. जब यूजर ऑनलाइन ट्रांसक्शन करता है तो यह प्रोटोकॉल यूजर को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है।

HTTPS के नुकसान

  1. इसमें cache के रूप में डेटा को चुराया जा सकता है।
  2. यह HTTP की तुलना में अधिक सर्वर संसाधनों (server resources) का उपयोग करता है।

9- Telnet

Telnet का पूरा नाम terminal network (टर्मिनल नेटवर्क) है जो लोकल कंप्यूटर को अन्य कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करने में मदद करता है।

टेलनेट क्लाइंट/सर्वर सिद्धांत (client/server principle) पर काम करता है। इस प्रोटोकॉल का उपयोग ज्यादतर क्लाइंट प्रोग्राम और रिमोट कंप्यूटर के द्वारा किया जाता है।

इसे पूरा पढ़ेंTelnet क्या है?

Telnet के फायदे –

  1. इसके द्वारा बहुत सारें resources को एक्सेस किया जा सकता है।
  2. इस प्रोटोकॉल के माध्यम से हम मुफ्त में इंटरनेट शतरंज सर्वर (internet chess server) का उपयोग कर सकते है।

Telnet के नुकसान –

  1. इस प्रोटोकॉल में केवल कुछ ही सर्वर को एक्सेस किया जा सकता है।
  2. यह कम सुरक्षित होता है।

10- Gopher

Gopher एक एप्लिकेशन-लेयर प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल वेब सर्वर पर स्टोर किये गये डाक्यूमेंट्स को एक्सेस करने लिए किया जाता है।

इस प्रोटोकॉल के माध्यम से हम डाक्यूमेंट्स को देख भी सकते है। यह प्रोटोकॉल अलग अलग साइटों से डॉक्यूमेंट को खोजने, पुनर्प्राप्त (recovering) करने और डिस्प्ले करने में मदद करता है।

Gopher के लाभ –

  1. यह एक सरल प्रोटोकॉल है।
  2. इसमें navigate करना आसान है।

Gopher की हानियाँ –

  1. इसमें एक ही स्क्रीन पर ग्राफिक्स और टेक्स्ट को मिक्स नहीं कर सकते।
  2. इस प्रोटोकॉल का उपयोग करने वाले यूजर HTML को नहीं देख सकते।

इसे पढ़ें – इंटरनेट क्या है?

Protocol क्या होता है?

प्रोटोकॉल शब्द का मतलब है “नियमों का समूह”. कंप्यूटर नेटवर्क में data के आदान-प्रदान के लिए भी कुछ नियम बनाये गये हैं जिसे ही प्रोटोकॉल कहा जाता है।

प्रोटोकॉल के कितने प्रकार होते हैं?

इसके बहुत सारें प्रकार होते हैं :- HTTP, HTTPS, POP, GOPHER, TELNET, SMTP, और FTP आदि.

Reference:- https://ecomputernotes.com/computernetworkingnotes/computer-network/protocol

protocol in Hindi Types

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