मेमोरी मैनेजमेंट क्या है? – Memory Management in Hindi

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is Memory Management in Hindi (मेमोरी मैनेजमेंट क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Memory Management in Hindi – मेमोरी मैनेजमेंट क्या है?

  • मेमोरी मैनेजमेंट एक तकनीक है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर मेमोरी को कंट्रोल और मैनेज करने के लिए किया जाता है.

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी मैनेजमेंट एक प्रक्रिया है जिसका प्रयोग मेमोरी को नियंत्रित (control) और प्रबंधित (manage) करने के लिए किया जाता है.”

  • Memory Management ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है जिसके द्वारा प्राइमरी मेमोरी को मैनेज किया जाता है.

  • ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सारीं process (प्रक्रियाएं) होती हैं और इन सभी process को मेमोरी प्रदान करना मेमोरी मैनेजमेंट कहलाता है.

  • Memory management यह भी निर्धारित करता है कि किस process को कौन से समय पर कितनी memory देने की जरूरत है।

  • कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी बहुत कम होती है इसलिए प्राइमरी मेमोरी का अच्छे से उपयोग करना बहुत जरुरी हो जाता है. इसी वजह से मेमोरी मैनेजमेंट का प्रमुख उद्देश्य प्राइमरी मेमोरी का सही ढंग से उपयोग करना होता है.

मेमोरी मैनेजमेंट का उपयोग क्यों किया जाता है? – Why Use Memory Management in Hindi?

1:- मेमोरी मैनेजमेंट का इस्तेमाल Process को मेमोरी allocate और deallocate करने के लिए किया जाता है.

2:- इसका इस्तेमाल मेमोरी लोकेशन को ट्रैक करने के लिए किया जाता है.

3:- इसका प्रयोग फ्रेगमेंटेशन से संबंधित समस्याओं को कम करने के लिए किया जाता है.

4:- इसका इस्तेमाल मेमोरी को सही ढंग से उपयोग (utilize) करने के लिए किया जाता है.

5:- इसका प्रयोग Data integrity को मेन्टेन करने के लिए किया जाता है.

इसे पढ़ें:-

मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक – Memory Management Techniques in Hindi

मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:-

  1. Contiguous memory management
  2. Non-Contiguous memory management
memory management techniques in Hindi

1:- Contiguous memory management

Contiguous memory management एक तकनीक है जिसमें प्रत्येक process मेमोरी के एक contiguous block में स्टोर रहती है।

Contiguous memory management के भी दो प्रकार होते हैं:-

  1. Single contiguous memory management
  2. Multiple Partitioning

(i). Single contiguous memory management

इस तकनीक में मेमोरी को दो contiguous भागों में विभाजित किया जाता है. इसके पहले भाग में ऑपरेटिंग सिस्टम को स्टोर किया जाता है और दूसरे भाग में process को स्टोर किया जाता है.

यह मेमोरी मैनेजमेंट की सबसे सरल तकनीक है. इसका इस्तेमाल पुराने समय के कंप्यूटरों में किया जाता था.

(ii). Multiple Partitioning

Single contiguous memory management तकनीक में एक समय में केवल एक process ही execute हो पाती थी जिसके कारण हमारी मेमोरी और CPU अच्छे से इस्तेमाल नहीं हो पाते थे.

Multiple partitioning में मेमोरी को बहुत सारें भागों में विभाजित किया जाता है और इन भागों में बहुत सारें process को स्टोर किया जाता है. इसमें एक समय में बहुत सारें process एक साथ execute हो पाते हैं.

Multiple Partitioning के दो प्रकार होते हैं:-

  1. Fixed Partitioning
  2. Dynamic Partitioning

Fixed Partitioning

Fixed Partitioning को static partitioning भी कहते हैं. इसमें मेमोरी को बहुत सारें fix size के भागों में विभाजित किया जाता है. इसमें प्रत्येक भाग एक process को स्टोर करता है.

Fixed Partitioning के फायदे

  1. इसे implement करना बहुत आसान है.
  2. इसे मैनेज और डिज़ाइन करना आसान है.

Fixed Partitioning के नुकसान

1:- इसमें आंतरिक फ्रेगमेंटेशन की समस्या आती है.

Dynamic Partitioning

Fixed partitioning में आने वाली समस्या को दूर करने के लिए dynamic partitioning का इस्तेमाल किया जाता है. Dynamic partitioning में process के द्वारा उतनी ही मेमोरी का इस्तेमाल किया जाता है जितनी उन्हें जरूरत होती है.

Dynamic partitioning के फायदे

  1. इसे implement करना आसान है.
  2. इसे मैनेज और डिज़ाइन करना आसान है.

2:- Non-Contiguous memory management

Non-Contiguous memory management में process को अलग-अलग मेमोरी ब्लॉक में विभाजित किया जाता है और इसे मेमोरी के अलग-अलग भागों में स्टोर किया जाता है.

Non-Contiguous memory management के दो प्रकार होते हैं:-

  1. Paging
  2. Segmentation

Paging (पेजिंग)   

पेजिंग एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है, इसमें मेमोरी को fix size के पेजों में विभाजित किया जाता है.

पेजिंग में उस डेटा का प्रयोग किया जाता है जो main memory में नही होता है लेकिन वह डेटा pages के रूप में virtual memory में होता है.

पेजिंग के फायदे

  1. यह बाहरी फ्रेगमेंटेशन को कम करता है.
  2. इसे implement करना आसान है.
  3. इसमें मेमोरी को अच्छे तरीके से उपयोग किया जाता है.
  4. इसमें swapping करना आसान होता है.
  5. इसमें हम तेजी से data को एक्सेस कर सकते हैं.

Segmentation (सेगमेंटेशन)

सेगमेंटेशन भी एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है जिसमें मेमोरी को अलग-अलग साइज़ के segments में विभाजित किया जाता है.

Segmentation का मेमोरी मैनेजमेंट paging की तरह ही समान होता है, परन्तु segmentation में segments का आकार fix नही होता है जबकि paging में pages का आकार fix होता है.

इसे पूरा पढ़ें:- पेजिंग और सेगमेंटेशन क्या है?

Exam में पूछे जाने वाले प्रश्न-

मेमोरी मैनेजमेंट क्या है?

ऑपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी मैनेजमेंट एक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल प्राइमरी मेमोरी को मैनेज और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इसके दो प्रकार होते हैं:- पहला Contiguous और दूसरा Non Contiguos Memory Management.

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा मेमोरी मैनेजमेंट कैसे किया जाता है?

मेमोरी मैनेजमेंट एक ऑपरेटिंग सिस्टम की कार्यक्षमता है जो प्राइमरी मेमोरी को संभालता या प्रबंधित करता है और निष्पादन के दौरान मुख्य मेमोरी और डिस्क के बीच प्रक्रियाओं को आगे और पीछे ले जाता है। मेमोरी मैनेजमेंट प्रत्येक मेमोरी स्थान का ट्रैक रखता है, भले ही यह किसी प्रक्रिया को आवंटित (allocate) किया गया हो या यह मुफ़्त हो।

Reference:https://www.geeksforgeeks.org/memory-management-in-operating-system/

memory management in Hindi

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