Database Recovery in Hindi – डेटाबेस रिकवरी क्या है? – DBMS

DBMS एक बहुत ही अधिक कठिन डेटाबेस सिस्टम होता है. यह प्रत्येक सेकंड में हजारों कार्यों को एक साथ execute करता है. कभी-कभी Database किसी कारणवश fail हो जाता है. तो ऐसी स्थिति में डेटाबेस को recover करने की जरूरत होती है.

आसान शब्दों में कहें तो, “Database Recovery एक प्रक्रिया है जिसमें डेटाबेस के fail या crash होने के बाद उसे फिर से सुरक्षित तरीके से restore किया जाता है.”

दूसरे शब्दों में कहें तो, “डेटाबेस के fail या crash हो जाने के बाद उसे फिर से पहले जैसी सुरक्षित अवस्था में लाने की प्रक्रिया को डेटाबेस रिकवरी कहते हैं”

Types of Database Recovery Techniques in DBMS in Hindi – डेटाबेस रिकवरी तकनीक के प्रकार

DBMS में डेटाबेस को recover करने के लिए बहुत सारीं तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. जिनके बारें में नीचे दिया गया है:-

1:- Transaction Logs (ट्रांजेक्शन लॉग्स)

Transaction Logs डेटाबेस में किये गए किसी भी बदलाव का रिकॉर्ड अपने पास रखता है. अगर किसी वजह से डेटाबेस fail हो जाता है तो हम transaction logs को देखकर वापस डेटाबेस को पुरानी स्थिति में ला सकते हैं.

2:- Backup & Restore (बैकअप और रिस्टोर)

हमें डेटाबेस का नियमित रूप से backup लेना चाहिए. Backup डेटाबेस की एक फ़ाइल होती है जिसे डाउनलोड करके पहले से ही रख लिया जाता है. यदि किसी वजह से डेटाबेस corrupt या crash हो जाता है तो हम डेटाबेस को backup फ़ाइल की मदद से फिर से रिस्टोर कर सकते हैं.

3:- Checkpoint Mechanisms (चेकपॉइंट मैकेनिज्म)

Checkpoint एक प्रक्रिया है जिसमें समय-समय पर डेटाबेस की copy को डिस्क में स्टोर कर लिया जाता है. अगर डेटाबेस fail होता है, तो DBMS इस चेकपॉइंट की मदद से डेटाबेस को आसानी से रिकवर कर सकता है, जिससे रिकवरी का समय कम हो जाता है क्योंकि पूरे transaction logs को प्रोसेस करने की जरूरत नहीं होती.

4:- Shadow Paging (शैडो पेजिंग)

Shadow Paging एक तकनीक है जिसमें डेटाबेस की एक पूरी duplicate copy बनायीं जाती है. इसमें Original डेटाबेस में बदलाव करने से पहले हम बदलाव को duplicate डेटाबेस में करते हैं. अगर डेटाबेस fail होता है, तो डुप्लीकेट कॉपी के द्वारा डेटाबेस को जल्दी से रिकवर किया जा सकता है.

5:- Database Replication (डेटाबेस रेप्लिकेसशन)

इस तकनीक में database की बहुत सारीं copies को अलग-अलग servers पर स्टोर करके रखा जाता है. अगर किसी वजह से प्राइमरी डेटाबेस विफल हो जाता है, तो सेकेंडरी डेटाबेस को ऑनलाइन लाया जा सकता है, जिससे डाउनटाइम कम हो जाता है.

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