Acceptance Testing क्या है और इसके प्रकार – Software Testing

Acceptance Testing एक प्रकार की सॉफ्टवेयर टेस्टिंग तकनीक है जो यह सुनिश्चित करती है कि जो हमने सॉफ्टवेयर बनाया है वह user की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है या नहीं।

Acceptance testing सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का सबसे अंतिम phase (चरण) होता है। इसके बाद ही सॉफ्टवेयर को market में लोगों के इस्तेमाल के लिए लिए launch किया जाता है।

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Types of Acceptance Testing in Hindi – एक्सेप्टेंस टेस्टिंग के प्रकार

  1. User Acceptance Testing (UAT)
  2. Business Acceptance Testing (BAT)
  3. Regulations Acceptance Testing (RAT)
  4. Operational Acceptance Testing (OAT)
  5. Contract Acceptance Testing (CAT)
  6. Alpha Testing
  7. Beta Testing

User Acceptance Testing in Hindi (यूजर एक्सेप्टेंस टेस्टिंग)

User Acceptance Testing का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि हमारा जो सॉफ्टवेयर है वह यूजर के लिए सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं।

यह टेस्टिंग End-Users के द्वारा की जाती है। इसलिए इसे End-User testing भी कहा जाता है।

इसमें देखा जाता है कि सॉफ्टवेयर end users यानि customer के daily tasks को सही से perform कर पा रहा है या नहीं।

Business Acceptance Testing in Hindi (बिजनस एक्सेप्टेंस टेस्टिंग)

बिजनस एक्सेप्टेंस टेस्टिंग का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि हमारा सॉफ्टवेयर बिजनस के goals को पूरा कर पा रहा है या नहीं। इस टेस्टिंग को businessman के द्वारा किया जाता है।

Regulations Acceptance Testing in Hindi (रेगुलेशन एक्सेप्टेंस टेस्टिंग)

इस टेस्टिंग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि हमारा सॉफ्टवेयर सभी आवश्यक rules (नियमों) का पालन कर रहा है।

Operational Acceptance Testing in Hindi

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि हमारा software बिना किसी रुकावट के smoothly और efficiently कार्य कर सकता है। इसे Operational Readiness Testing भी कहा जाता है।

यह टेस्टिंग देखती है कि backup, recovery, performance monitoring, और system maintenance सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं।

Contract Acceptance Testing in Hindi

यह टेस्टिंग contract की terms और conditions को verify करने के लिए की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि जो हमारा सॉफ्टवेयर है, वह contract में दी गई सभी conditions को पूरा कर रहा है या नहीं।

Alpha Testing (अल्फा टेस्टिंग)

इसका मुख्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर में मौजूद bugs और errors  की पहचान करना और उन्हें fix करना होता है। इस टेस्टिंग को अनुभवी सॉफ्टवेयर टेस्टर के द्वारा किया जाता है।

Beta Testing (बीटा टेस्टिंग)

BETA Testing का मुख्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर को real-world में test करना होता है और यह सुनिश्चित करना होता है कि सॉफ्टवेयर end users के लिए पूरी तरह से ready और stable है। इस टेस्टिंग को end-users के द्वारा किया जाता है।

इसे पूरा पढ़ें:Alpha और beta टेस्टिंग क्या है और इसके बीच अंतर क्या है?

Advantages of Acceptance Testing in Hindi – इसके लाभ

  1. यह टेस्टिंग सुनिश्चित करती है कि सॉफ्टवेयर user की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है।
  2. इस टेस्टिंग के द्वारा सॉफ्टवेयर को लॉन्च करने से पहले bugs और errors को identify और fix किया जा सकता है।
  3. इसके द्वारा सॉफ्टवेयर की quality, performance, और reliability का पता चल जाता है।
  4. इससे सॉफ्टवेयर के failures और risks को कम किया जा सकता है।
  5. यह testing सुनिश्चित करती है कि सॉफ्टवेयर business requirements को पूरा कर रहा है।

इसे पढ़ें:- सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या है और इसके प्रकार

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