Operating System का Structure एक blueprint की तरह होता है जो यह बताता है कि ऑपरेटिंग सिस्टम को कैसे organize किया गया है और यह दूसरे components (हिस्सों) के साथ कैसे interact करता है।
Operating System का Structure यह निर्धारित करता है कि ऑपरेटिंग सिस्टम कैसे काम करेगा और User को सुविधाएं कैसे प्रदान करेगा।
ऑपरेटिंग सिस्टम के बहुत सारें structure होते हैं जिनके बारें में नीचे दिया गया है:-

1. Simple Structure
Simple Structure का उपयोग उन Operating Systems में किया जाता है, जो छोटे और कम Complex (जटिल) होते हैं। इसमें अलग-अलग Modules को सही तरीके से Divide नहीं किया जाता।
इसका Design बहुत ही simple होता है, और इनकी Flexibility और Security बहुत कम होती है।
उदाहरण (Example):– MS-DOS
फायदे (Advantages)
- Simple Structure के कारण System तेज़ी से काम करता है।
- इसका Design और Implementation आसान होता है।
- यह Structure उन Systems के लिए उपयुक्त है, जिनके पास सीमित Resources (जैसे RAM और Processing Power) होते हैं।
नुकसान (Disadvantages)
- इसमें security (सुरक्षा) बहुत कम होती है।
- इसमें System में Faults को ढूंढना और उन्हें ठीक करना मुश्किल हो सकता है।
- इसका Design बहुत ही simple होता है जिसके कारण यह नए Features को Add करने में दिक्कतें पैदा करता है।
2:- Layered Structure
Layered Structure में Operating System को अलग-अलग Layers में Divide किया जाता है। इसमें प्रत्येक Layer अपने ऊपर और नीचे वाली Layer के साथ Interact करती है।
इसमें Lower Layers हार्डवेयर से जुड़ी होती हैं और Upper Layers यूजर से जुड़ी होती हैं।
Advantages:
- इसमें System को Organize करना और Debugging करना आसान हो जाता है।
- इसमें maintenance आसान होता है।
- इसमें प्रत्येक Layer को अलग से Test किया जा सकता है।
Disadvantages:
- इसमें Performance थोड़ी slow हो सकती है क्योंकि layers के बीच interaction होता है।
- इसमें Layers केवल अपनी अगली और पिछली Layers से ही Interact कर सकती हैं।
3:- Monolithic Structure
Monolithic Structure ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे पुराना और सरल Design है। इस स्ट्रक्चर में, ऑपरेटिंग सिस्टम को एक बड़े Program के रूप में Design किया जाता है, जिसमें सभी Components एक साथ Kernel में Integrate (जुड़े) होते हैं।
फायदे (Advantages)
- इसकी execution तेज होती है।
- इसमें System Calls को Process करना Fast होता है क्योंकि सभी Operations एक Kernel में होते हैं।
नुकसान (Disadvantages)
- इसमें Errors को ढूंढना और ठीक करना मुश्किल होता है।
- इसमें नए Features को Add करना मुश्किल होता है क्योंकि पूरे Kernel को Modify करना पड़ता है।
- इसमें अगर Kernel में कोई Error होती है, तो पूरा सिस्टम Crash हो सकता है।
4. Microkernel Structure
Microkernel Structure में Kernel को छोटा और simple रखा जाता है। इसमें केवल जरूरी functions को ही Kernel के अंदर रखा जाता है, जैसे Memory Management, Process Scheduling, और Inter-process Communication (IPC)। बाकी सभी काम (जैसे File System, Device Drivers, और Networking) को Kernel के बाहर User Space में किए जाते हैं।
फायदे (Advantages)
- Kernel में कम functions होने की वजह से यह ज्यादा सुरक्षित होता है।
- अगर कोई Service Crash हो जाए, तो पूरा System Crash नहीं होता।
- इसमें Services को अलग-अलग बदला या Update किया जा सकता है।
- इसमें System को अलग-अलग हिस्सों में Manage करना आसान होता है।
नुकसान (Disadvantages)
- Kernel और User Space के बीच बार-बार Message Passing के कारण System धीमा हो सकता है।
- User Space में Services को Manage करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
5. Modular Structure
Modular Structure में ऑपरेटिंग सिस्टम को छोटे-छोटे हिस्सों या “Modules” में विभाजित किया जाता है। हर Module एक खास काम को संभालता है, जैसे Process Management, Memory Management, या File System। इन Modules को आपस में जोड़कर पूरा System तैयार किया जाता है।
फायदे (Advantages)
- Operating System के विभिन्न Components को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने से System को ज्यादा आसानी से समझा जा सकता है और सुधार सकते हैं।
- इसमें नए Modules को आसानी से जोड़ा जा सकता है या पुराने Modules को बदला जा सकता है।
- इसमें एक Module को Update करने के लिए पूरा System बदलने की जरूरत नहीं होती।
नुकसान (Disadvantages)
- इसमें अलग-अलग Modules के बीच Communication के कारण थोड़ा Performance कम हो सकती है।
- इसमें हर Module के बीच Communication और Coordination को ठीक से Manage करना थोड़ा जटिल हो सकता है।
6. Hybrid Structure
Hybrid Structure को Monolithic और Microkernel दोनों की विशेषताओं को मिलाकर बनाया गया है। इसमें Kernel में कुछ आवश्यक Services को Monolithic Structure के रूप में रखा जाता है, जबकि अन्य Services को Microkernel की तरह बाहर User Space में रखा जाता है।
फायदे (Advantages)
- Hybrid Structure में Kernel का कुछ हिस्सा Monolithic होता है, जिससे Performance अच्छी रहती है, जबकि Microkernel के फायदे भी मिलते हैं।
- Microkernel के Features के कारण System ज्यादा Secure (सुरक्षित) और Reliable (विश्वसनीय) होता है।
- Hybrid Structure में भी Services को Modular तरीके से बांटा जाता है, जिससे System को आसानी से अपडेट और Modify किया जा सकता है।
नुकसान (Disadvantages)
- Hybrid Structure को Design करना और Manage करना थोड़ा Complex हो सकता है, क्योंकि इसमें Monolithic और Microkernel दोनों के Features होते हैं।
- Kernel और User Space के बीच Communication के लिए Message Passing का उपयोग किया जाता है, जिससे थोड़ा Performance कम हो सकता है।
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