What is CRC in hindi:-
CRC का पूरा नाम cyclic redundancy check है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग डिजिटल डेटा में errors को detect करने के लिए किया जाता है.
cyclic redundancy check में, एक विशेष नंबर को डेटा के ब्लॉक के साथ append (जोड़) दिया जाता है यह check करने के लिए कि डेटा के ट्रांसमिशन तथा स्टोरेज के वक्त डेटा में कोई बदलाव हुआ है या नहीं.
इस डेटा को receiver रिसीव करता है और डेटा को check करता है. यह CRC वैल्यू के द्वारा receive हुए डेटा की सेन्डर द्वारा भेजे गये डेटा के साथ तुलना करता है.
अगर receive हुए डेटा में को error आ जाता है तो receiver सेन्डर को दुबारा डेटा ब्लॉक को भेजने के लिए कहता है.
cyclic redundancy check जो है वह binary division पर आधारित है तथा इसे polynomial code checksum भी कहा जाता है.
इस तकनीक का आविष्कार 1961 में W. Wesley Peterson ने किया था.
cyclic redundancy check को हार्डवेयर में implement करना बहुत आसान है तथा इसे mathematically analyze किया जा सकता है.
cyclic redundancy check जो है वह errors को detect करने में VRC तथा LRC तकनीकों से ज्यादा प्रभावशाली है.
VRC तथा LRC जो है वह binary addition पर आधारित है जबकि यह binary division पर आधारित है.
CRC method:-
इसमें सबसे पहले दिए गये डेटा में 0 के n bits को append किया जाता है और divisor जो है वह n+1 बिट्स का होता है.
इसमें ट्रांसमीट किये जाने वाले डेटा यूनिट (original data + 0 के n बिट्स) को divisor के द्वारा divide किया जाता है और divide करने के बाद हमें जो remainder (शेषफल) प्राप्त होगा उसे हम CRC कहते है.
CRC जो है वह divisor से एक bit कम होगा अर्थात् अगर CRC, n बिट्स का है तो divisor n+1 बिट्स का होगा.
इसके बाद इस CRC को डेटा यूनिट के अंत में append कर दिया जाता है. CRC को डेटा यूनिट के साथ इस प्रकार append किया जाता है कि अगर हम इसे divisor के द्वारा divide करें तो उसका remainder हमें 0 (शून्य) प्राप्त हो.
अब data unit + CRC को receiver को भेज दिया जाता है. वहां रिसीवर इसे (data unit + CRC) को उसी divisor से divide करता है.
अगर divide करने के बाद remainder हमें शून्य (0) प्राप्त होता है तो इस डेटा यूनिट में कोई error नहीं होता और receiver इसे ले लेता है.
अगर divide करने के बाद remainder हमें शून्य (0) प्राप्त नहीं होता है तो इस डेटा यूनिट में errors होते है इसे receiver वापस सेन्डर को भेज देता है.
उदाहरण के लिए:-
इसको उदाहरण के द्वारा अच्छे से समझ सकते है.
माना हमारे पास 1101 डेटा है जिसे हमने ट्रांसमीट करना है और हमारे divisor 1011 है.
हम 1101 में तीन शून्य append कर देंगे हमारे पास divisor 4 बिट्स का है. अब हमारे पास नया डेटा यूनिट 1101000 है.
डेटा यूनिट 1101000 को 1011 से विभाजित कर देंगे.
हमें remainder 001 प्राप्त हुआ है, इसे CRC कहते है.
इस CRC (001) को डेटा (1011) में append कर देंगे तो हमारे पास डेटा यूनिट 1011001 आ जाएगी.
इस डेटा 1011001 को receiver को ट्रांसमीट कर देंगे.
receiver इसे वापस divisor 1011 से विभाजित करेगा, जिससे उसे 000 प्राप्त होगा. अर्थात् डेटा error free है इसमें कोई error नहीं है.
Cyclic Redundancy Check का प्रयोग:- इसका प्रयोग ATM, डिजिटल सिग्नलिंग, ईथरनेट, FDDI तथा टेलिकॉम सर्किट आदि में किया जाता है.
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very easy explanation
sir ……..thankyuou ……
sir aaapne to meri problem salve kar di ….thankyou sir…………
Thank you very much sir
Plz upload LRC , VRC and Checksum