Pedagogy (शिक्षाशास्त्र) क्या है और इसके सिद्धांत

हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में What is Pedagogy in Hindi (शिक्षाशास्त्र क्या है?) के बारें में पढेंगे और इसके types को भी देखेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:- 

Pedagogy in Hindi – शिक्षाशास्त्र क्या है?

  • Pedagogy का हिंदी में मतलब “शिक्षाशास्त्र” होता है.

  • Pedagogy का तात्पर्य छात्रों (students) को पढ़ाने के तरीके से है.

  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “शिक्षाशास्त्र का अर्थ शिक्षा के सिद्धांत और व्यवहार का अध्ययन होता है.”

  • शिक्षा (education) की प्रक्रिया का अच्छे तरीके अध्ययन (study) करना pedagogy कहलाता है. इसमें students को पढ़ाने के तरीकों की study की जाती है.

  • इसमें teacher ऐसे तरीकों के बारें में पढता है जिससे कि किसी भी छात्र को आसानी से समझ आ जाये. हर छात्र एक जैसा नहीं होता किसी को जल्दी समझ में आता है तो किसी को देर में. इसलिए teacher को ऐसे तरीके से पढाना चाहिए जिससे कि सभी students को आसानी से समझ में आये.

  • Pedagogy का मुख्य उद्देश्य छात्रों की skills को बढ़ाना और उनके दृष्टिकोण (attitude) को विकसित करना होता है.

  • शिक्षाशास्त्र के अंदर शिक्षक (teacher) को यह पढाया जाता है कि छात्रों से कैसे बात करनी है क्योंकि अगर शिक्षक और छात्रों के मध्य बात-चीत होती है तो छात्रों को किसी भी सवाल पूछने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती जिससे वो आसानी से सीख पाते हैं.

  • शिक्षाशास्त्र में teacher की जिम्मेदारियों के बारें में भी पढाया जाता है. Teacher की यह जिम्मेदारी होती है कि वह छात्रों को सही जानकारी सही तरीके से दे, चाहें उनका पढ़ाने का style (ढंग) कुछ भी हो.

Importance of Pedagogy in Hindi – शिक्षाशास्त्र का महत्व

इसके महत्व के बारें में नीचे दिया जा रहा है:-

1:- Teaching (शिक्षण) की quality (गुणवत्ता) में सुधार

किसी भी कक्षा में pedagogy का इस्तेमाल करने से शिक्षा की quality (गुणवत्ता) में काफी सुधार होता है. इससे छात्र किसी भी subject (विषय) को आसानी से समझ और सीख पाते हैं.

2:- इससे छात्र एक-दूसरे के साथ पढाई करते हैं

शिक्षाशास्त्र के कारण students आपस में एक दूसरे के साथ मिलकर पढ़ते हैं और किसी भी कार्य को साथ मिलकर पूरा करते हैं. इससे छात्रों को एक दूसरे से सीखने का भी अवसर मिलता है और उनके मध्य सम्बन्ध भी गहरा होता है.

3:- यह नीरस शिक्षा को समाप्त करता है

Pedagogy ऐसी शिक्षा को समाप्त करता है जिसमें रटना होता है और practical कुछ भी नहीं होता. आज के समय में skill (कौशल) पर आधारित शिक्षा की आवश्यकता है.

Pedagogy की वजह से छात्र पढाई के नए तरीके सीखते हैं. क्योंकि नए तरीके से पढाई करने से छात्र का मन पढाई में लगा रहता है और उनका दिमाग भी विचलित नहीं होता.

4:- इससे छात्र अपने तरीके से पढाई करते हैं

Pedagogy छात्र को अपने तरीके से पढाई करने में मदद करता है क्योंकि हर छात्र एक-दूसरे से अलग होता है और हर छात्र अलग-अलग तरीकों से चीजों को सीखता है.

5:- Teacher और student के बीच communication (संचार) में सुधार

शिक्षाशास्त्र शिक्षक और छात्र के बीच बात-चीत में सुधार करता है जिससे teacher छात्र को बेहतर ढंग से समझ पाता है और छात्र की कमजोरियों को पहचान पाता है. इन कमजोरियों पर विजय पाने में मदद करता है.

इसे पढ़ें:- एक रात में पूरा syllabus कैसे पढ़ें

Types of Pedagogy in Hindi – शिक्षाशास्त्र के प्रकार

इसके प्रकार निम्नलिखित हैं:-

Types of pedagogy in Hindi

1:- Social Pedagogy (सामाजिक शिक्षाशास्त्र)

इसका उद्देश्य क्षात्रों का सामाजिक विकास करना, और उनको जागरूक बनाना होता है. इस प्रकार की teaching (शिक्षण) में नैतिक शिक्षा (moral education) शामिल होती है.

2:- Critical Pedagogy (आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र)

इसका उद्देश्य daily life (दैनिक जीवन) की परेशानियों को समझना और उनका समाधान करना होता है. यह छात्र को चीजों को गहराई से देखने और एक विषय पर उनके विचारों और विश्वासों को समझने की कोशिश करने के लिए encourage (प्रोत्साहित) करता है.

3:- Culturally responsive pedagogy (सांस्कृतिक रूप से उत्तरदायी शिक्षाशास्त्र)

इसका उद्देश्य छात्रों के बीच सांस्कृतिक अंतर को समझने में मदद करता है और स्कूल में सांस्कृतिक अंतर के बारें में जागरूकता को बढाता है.

4:- Socratic Pedagogy (सुकराती शिक्षाशास्त्र)

इसका उद्देश्य छात्रों को दूसरे sources (स्रोतों) से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इससे छात्रों को समस्याओं के वैकल्पिक समाधान खोजने में मदद मिलती है.

Principles of Pedagogy in Hindi – शिक्षाशास्त्र के सिद्धांत

इसके वहुत सारें सिद्धांत होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:-

1:- खुद करके सीखने का सिद्धांत

छात्र कोई भी चीज खुद करते हैं तो उन्हें अच्छे से समझ में आता है और वह उसे कभी भी भूलते नहीं है. इसलिए teacher को छात्र को इसे पढाना चाहिए जिससे कि छात्र खुद से करके सीखे.

2:- जीवन के सम्बन्ध का सिद्धांत

कोई भी छात्र अपने life (जीवन) से सम्बन्धित चीजों को आसानी से समझता है. अगर कोई ऐसा topic है जो उनके जीवन से सम्बन्धित नही है तो वह उसे सीखने में कोई interest (रूचि) नही दिखाते. इसलिए teacher को ऐसे topics और तथ्यों को पढाना चाहिए जो छात्रों के जीवन से सम्बन्ध रखता हो.

3:- Purpose (उद्देश्य) का सिद्धांत

छात्र जब तक किसी lesson (अध्याय) का उद्देश्य नहीं जानेंगे तो उन्हें पढने में कोई रूचि नही होगी. अर्थात अगर छात्र को यही नही पता होगा कि इस lesson को पढ़ने का उद्देश्य क्या है तो उन्हें पढने में interest पैदा नही होगा.

इसलिए teacher को प्रत्येक lesson का उद्देश्य बताकर उन्हें पढाना चाहिए.

उदाहरण के लिए – जैसे कि math (गणित) का कोई lesson है तो teacher को यह बताना चाहिए कि math को पढकर वो scientist बन सकते हैं और नए नए अविष्कार कर सकते हैं.

4:- चुनने का सिद्धांत

मनुष्य जीवन बहुत ही छोटा होता है और इस संसार में ज्ञान का अपार भंडार है. इसलिए छात्र को syllabus में उपयोगी lessons (अध्याय) को ही चुनकर रखना चाहिए.

5:- Division (विभाजन) का सिद्धांत

छात्र के सामने पूरे syllabus (पाठ्य-क्रम) को एक साथ प्रस्तुत नही करना चाहिए. पाठ्य-क्रम को बहुत सारें lessons में विभाजित करना चाहिये. विभाजन में पहले basic अध्याय होने चाहिए और फिर advance अध्याय होने चाहिए.

6:- Repetition (पुनरावृत्ति) का सिद्धांत

छात्र को सभी चीजें तभी समझ में आती है जब उसे बार-बार उस चीज के बारें में बताया जाए. इसलिए teacher को एक lesson बार-बार पढ़ाना चाहिए जिससे कि छात्र lesson को समझ पाए.

Important Pedagogy MCQ in Hindi – शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रशन

1:- प्राइमरी स्कूलों के छात्रों के लिए निम्नलिखित में से किसे बेहतर मानते हैं?

  1. प्रदर्शन के द्वारा
  2. विडियो के द्वारा पढाना
  3. स्वयं के द्वारा किया गया अनुभव
  4. इनमें से कोई नहीं.

उत्तर – स्वयं के द्वारा किया गया अनुभव

2:– निम्न में से कौन सा कथन अच्छे teacher के लिए सही है:-

  1. पढ़ाने के लिए व्याख्यान विधि (theorotical method) का इस्तेमाल करता है.
  2. छात्रों को सदैव अनुशासन में रखता है.
  3. सदैव प्रदर्शन के माध्यम से पढ़ाता है.
  4. छात्रों को सदैव सीखने के लिए motivate (प्रेरित) करता है.

उत्तर – छात्रों को सदैव सीखने के लिए motivate (प्रेरित) करता है.

3:- Pedagogy (शिक्षाशास्त्र) अध्ययन है:-

  1. शिक्षा का
  2. छात्रों को guide (मार्गदर्शन) करने का
  3. सीखने की प्रक्रिया का
  4. शिक्षण विधियों का

उत्तर – शिक्षण विधियों का

4:– यदि किसी बच्चे की मानसिक आयु 5 वर्ष है और उसकी कालानुक्रमिक आयु 4 वर्ष है तो उस बच्चे की IQ (बुद्धि) क्या होगी?

  1. 125
  2. 80
  3. 120
  4. 100

उत्तर – 125

5:– विशेष शिक्षा किससे सम्बन्धित हैं:-

  1. प्रतिभाशाली छात्रों के लिए शिक्षा
  2. दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा
  3. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
  4. ये सभी

उत्तर – दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा

पेडागोजी शब्द का क्या अर्थ है?

शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।

शिक्षण से क्या आशय है?

शिक्षण एक त्रियामी प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक और छात्र, पाठ्यक्रम के माध्यम से अपने स्वरूप को प्राप्त करते हैं।

Reference:https://www.iitms.co.in/blog/importance-of-pedagogy-in-teaching-and-learning-process.html

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