Hello दोस्तों! आज की इस पोस्ट में हम Contiguous & Non-Contiguous Memory Allocation in Hindi के बारें में पूरे विस्तार से पढेंगे और इनके मध्य difference को भी देखेंगे. मैंने इसे आसान भाषा में लिखा है आप इसे पूरा पढ़िए आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
Contiguous Memory Allocation in Hindi
Contiguous Memory Allocation एक विधि है जिसमें जब एक process (प्रोसेस) secondary memory से main memory में आती है तो वह pieces (टुकड़ों) में विभाजित नहीं होती और वह पूरी प्रोसेस एक साथ main memory में स्टोर जाती है.
दूसरे शब्दों में कहें तो, “Contiguous memory allocation एक method है जिसमें एक प्रोसेस को memory का एक single contiguous section आवंटित (allocate) किया जाता है. इसके कारण उपलब्ध memory space एक साथ एक ही जगह पर रहता है.”
Main memory के दो भाग (part) होते है. एक भाग operating system के लिए और दूसरा भाग user program के लिए. हम memory के parts को fix size के parts में विभाजित करके Contiguous Memory Allocation प्राप्त कर सकते हैं.
Array इस मैमोरी एलोकेशन का सबसे अच्छा उदाहरण है क्योंकि arrays को contiguous memory प्रदान की जाती है.
advantage (इसके लाभ) –
- इसका मुख्य लाभ यह है कि यह processing की speed को बढ़ा देता है.
- इसको implement करना बहुत ही आसान होता है क्योंकि इसमें file के block को track करना easy है.
- यह files में random access को सपोर्ट करता है.
disadvantage (इसकी हानियाँ) –
- इसका मुख्य हानि memory wastage है. इसमें मैमोरी का नुकसान होता है.
- इसमें डिस्क fragmented हो जाती है.
- यह flexible नहीं होती.
Non-contiguous memory allocation in Hindi
Non-contiguous memory allocation एक विधि है जिसमें जब एक प्रोसेस secondary memory से main memory में आता है तो वह pieces में विभाजित होता है और main memory में स्टोर हो जाता है.
दूसरे शब्दों में कहें तो, “Non-contiguous मैमोरी एलोकेशन एक method है जिसमें एक process को अलग-अलग memory location में मौजूद memory space आवंटित (allocate) किये जाते हैं.”
यह मैमोरी एलोकेशन internal और external fragmentation के लिए solution प्रदान करता है. और यह memory wastage को कम करता है.
linked list इस मैमोरी एलोकेशन का एक उदाहरण है क्योंकि हम इसमें last node को direct access नहीं कर सकते.
advantages (इसके फायदे) –
- इसमें external fragmentation नहीं होता है.
- यह memory की बचत करता है.
disadvantages (इसके नुकसान) –
- इसमें process को execute होने में ज्यादा समय लगता है. क्योंकि process टुकड़ों में अलग-अलग memory locations पर स्थित होती है.
- non-contiguous memory को control करना difficult होता है.
Difference Between Contiguous and Non-contiguous memory allocation in Hindi
इनके मध्य अंतर निम्नलिखित है:-
Contiguous memory allocation | Non-contiguous memory allocation |
Contiguous memory allocation एक प्रोसेस को मैमोरी के consecutive blocks आवंटित (allocate) करता है. | Contiguous memory allocation एक प्रोसेस को मैमोरी के separate blocks आवंटित (allocate) करता है. |
इसमें process का execution तेज होता है. | इसमें प्रोसेस का execution धीमा होता है. |
OS को control करना आसान है. | OS को control करना मुश्किल है. |
इसमें overhead कम होता है क्योंकि address translation कम है. | इसमें overhead ज्यादा होता है क्योंकि इसमें address translation ज्यादा होते हैं. |
इसमें fragmentation होता है. | इसमें fragmentation नहीं होता. |
इसमें single-partion allocation और multi-partion allocation सम्मिलित होता है. | इसमें paging और segmentation सम्मिलित रहता है. |
इसमें memory का wastage होता है. | इसमें memory का wastage नहीं होता. |
इसमें, swapped-in processes को original area में रखा जाता है. | swapped-in processes को memory में कही भी रख दिया जाता है. |
references:- https://www.geeksforgeeks.org/difference-between-contiguous-and-noncontiguous-memory-allocation/
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