हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में Error Correction in Hindi (कंप्यूटर नेटवर्क में एरर करेक्शन क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, आपको यह आसानीसे समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक
Error Correction in Hindi – एरर करेक्शन क्या है?
Error Correction Codes का प्रयोग errors को detect और correct करने के लिए किया जाता है. जब भी data को sender से receiver को भेजा जाता है तो data में मौजूद errors को ये codes (कोड) detect करते है और फिर इन्हें correct किया जाता है.
आसान शब्दों में कहें तो, “Error correction एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा ट्रांसमिट किये जाने वाले data में से errors को correct किया जाता है।”
Error Correction को दो तरीकों से handle किया जा सकता है.
- Backward error correction – इसमें, जब एक बार error को find कर लिया जाता है तो receiver (रिसीवर), sender को पूरा data दुबारा से भेजने की request करता है.
- Forward error correction – इसमें, receiver जो है वह error correcting codes का प्रयोग करता है. इन codes का प्रयोग करने से data में मौजूद error अपने आप correct हो जाते हैं.
Backward error correction बहुत ही सरल है और इसका प्रयोग तब ही प्रभावी होता है जब data का दुबारा से transmit करना expensive (महंगा) नहीं होता. उदाहरण के लिए – fiber optics, परन्तु वायरलेस ट्रांसमिशन में data को दुबारा से send करना बहुत महंगा होता है. इसलिए इस स्थिति में forward error correction का प्रयोग किया जाता है.
Data Frame में किसी भी error को correct करने के लिए, receiver को यह पता होना चाहिए कि frame में कौन सी bit (बिट) corrupt है. अर्थात् रिसीवर को error की सटीक position पता होनी चाहिए.
Types of Error Correcting Codes (ECC) in Hindi
ECC के दो प्रकार होते हैं. जो कि निम्नलिखित हैं:-
- Block Codes – इसमें message या data को bits के fix size block में विभाजित कर दिया जाता है. और इसमें error को correct और detect करने के लिए redundant (अनावश्यक) bits को add किया जाता है.
- Convolutional codes – यह एक boolean polynomial function के sliding application के माध्यम से parity symbols को एक data stream में उत्पन्न करता है.
सामान्य error correcting codes –
नीचे आपको 4 सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाले error correcting codes दिए गये हैं:-
- Hamming Code – यह एक block code होता है जिसका प्रयोग two-bit errors को detect करने तथा single-bit error को correct करने के लिए किया जाता है.
इसे पूरा पढने के लिए click करें:- Hamming code क्या है? - Binary Convolution Code – इसमें एक एनकोडर arbitrary length के bits के input sequence को process करता है. और output bits के एक sequence (क्रम) को जनरेट करता है.
- Reed – Solomon Code – यह एक block होता है और इसे 1960 में S. Reed और Gustave Solomon ने विकसित किया था. यह कोड burst errors को received data block में correct करता है.
- Low-Density Parity Check Code – यह एक block code होता है और इसे parity-check matrix के द्वारा specify किया जाता है. इसका प्रयोग data को बहुत ही ज्यादा noisy channel में भेजने के लिए किया जाता है.
इसे पढ़ें:-
references :- https://www.javatpoint.com/computer-network-error-correction
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