Connection oriented and Connectionless services in Hindi – कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्शनलेस सर्विस क्या है?

नमस्कार दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में Connection oriented and connectionless services in Hindi (कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्शनलेस सर्विस) के बारें में विस्तार से पढ़ेंगे. हम इनके बीच अंतर (difference) को भी देखेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं:-

Connection oriented & Connectionless services in Hindi

किसी एक नेटवर्क में दो कम्प्यूटरों के बीच डाटा को ट्रांसफर करने के दो तरीके होते हैं:- पहला Connection oriented service और दूसरा Connectionless service. ये दोनों सेवाएँ (services) नेटवर्क लेयर के द्वारा प्रदान की जाती हैं.

Connection Oriented Service in Hindi – कनेक्शन ओरिएंटेड सर्विस क्या है?

Connection oriented service में डाटा ट्रांसफर करने से पहले हमें sender और receiver के बीच कनेक्शन स्थापित करना पड़ता है. इसमें कनेक्शन को स्थापित करने के लिए handshake विधि का इस्तेमाल किया जाता है.

यह बहुत ही reliable (विश्वसनीय) सर्विस है इसमें डाटा सही क्रम में और सुरक्षित तरीके से ट्रांसफर होता है. Connection oriented service का इस्तेमाल मोबाइल कम्युनिकेशन में किया जाता है. इसका उदाहरण TCP (Transmission Control Protocol) है.

नीचे इस सर्विस का चित्र दिया गया है:-

connection oriented service in hindi

इसके लाभ –

  1. यह विश्वसनीय होता है.
  2. यह डाटा में त्रुटि (error) की जांच करता है.
  3. इसमें डाटा को एक खास क्रम में भेजा और प्राप्त किया जाता है.

इसके नुकसान:-

  1. इसकी speed (गति) धीमी होती है.
  2. इसमें अधिक resources की आवश्यकता होती है.
  3. यह ज्यादा flexible नहीं होता.
  4. यह महंगा होता है.

Connectionless Service in Hindi – कनेक्शनलेस सर्विस क्या है?

Connectionless Service में डाटा ट्रांसफर के लिए हमें सेंडर और रिसीवर के बीच पहले से कनेक्शन स्थापित करने की जरूरत नहीं पड़ती. यह reliable (विश्वसनीय) सर्विस नहीं है क्योंकि इसमें इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि डाटा receiver तक पहुंचेगा या नहीं.

इसका उदाहरण UDP (User Datagram Protocol) है. नीचे आप इस सर्विस का चित्र देख सकते हैं:-

connectionless service in hindi

इसके फायदे-

  1. इसकी speed बहुत ही अधिक होती है.
  2. यह flexible होता है.
  3. इसमें कम खर्चा होता है.

इसके नुकसान:-

  1. यह विश्वसनीय नहीं होता.
  2. यह डाटा में मौजूद त्रुटि (errors) की जांच नहीं करता.
  3. यह डाटा को सही क्रम में नहीं भेजता.

Connection Oriented और Connectionless के बीच अंतर (difference)

Connection Oriented Connectionless
इसमें कनेक्शन स्थापित करने की आवश्यकता होती है.इसमें कनेक्शन स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती
इसमें डाटा पैकेट सही क्रम और बिना त्रुटि के प्राप्त होते हैं.इसमें डाटा पैकेट lost (खो) सकते हैं, या ग़लत क्रम में पहुंच सकते हैं
यह त्रुटियों (errors) की जांच और खोए हुए पैकेट को पुनःप्राप्त करने का प्रयास करता हैयह त्रुटियों (errors) की जांच नहीं करता है
इसमें congestion नहीं होता है.इसमें congestion होने की संभावना होती है.
यह टेलीफोन सिस्टम से संबंधित होता है.यह पोस्टल सिस्टम से संबंधित होता है.
यह सुनिश्चित करता है कि receiver उसी गति से डाटा प्राप्त कर सके जितनी तेजी से sender भेज रहा हैइसमें नेटवर्क कंजेशन होने पर डाटा ट्रांसफर में देरी हो सकती है
इसकी स्पीड slow होती है.इसकी स्पीड fast होती है.
यह कम flexible होता है.यह अधिक flexible होता है.
इसकी कीमत अधिक होती है.इसकी कीमत कम होती है.
इसका उपयोग फाइल ट्रांसफर, और वेब ब्राउजिंग जैसे कामों को करने के लिए किया जाता है.इसका उपयोग ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग, और लाइव चैट आदि कामों में किया जाता है.
इसका उदाहरण TCP (Transmission Control Protocol) है.इसका उदाहरण UDP (User Datagram Protocol) है.

कब किस सर्विस का इस्तेमाल करें?

आप किस सर्विस का इस्तेमाल करेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का डाटा ट्रांसफर करना चाहते हैं:

  • विश्वसनीय और क्रमबद्ध डाटा ट्रांसफर के लिए: कनेक्शन ओरिएंटेड सर्विस का इस्तेमाल करें. (उदाहरण: फाइल ट्रांसफर, वेब ब्राउजिंग)
  • तेज़ और देरी से कम प्रभावित ट्रांसफर के लिए: कनेक्शनलेस सर्विस का इस्तेमाल करें. (उदाहरण: ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग)

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मुझे उम्मीद है कि इस ब्लॉग पोस्ट ने आपको कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्शनलेस सर्विस के बीच के अंतर को समझने में मदद की है! अगर आपको यह पोस्ट उपयोगी रहा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर कीजिये ताकि उनकी भी मदद हो पाएं. आपके कुछ भी सवाल हो तो उन्हें कमेंट के माध्यम से बताइये.

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