हेल्लो दोस्तों! आज हम इस आर्टिकल में Physical Layer in Hindi (फिजिकल लेयर क्या है?) के बारें में पढेंगे. इसे बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है. इसे आप पूरा पढ़िए, यह आपको आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
टॉपिक
Physical layer in Hindi – फिजिकल लेयर क्या है?
यह OSI model की पहली लेयर है जिसे हम physical layer या layer 1 भी कहते है। इस लेयर का उपयोग अलग-अलग data bits को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है।
यह OSI मॉडल की सबसे निचली (lowest) लेयर है। यह लेयर फिजिकल कनेक्शन को स्थापित (establish) और maintain करती है।
यह लेयर डेटा को ट्रांसफर करने के लिए electrical, mechanical और procedural इंटरफ़ेस का प्रयोग करती है। इस लेयर का उपयोग 0 और 1 बिट को फाइबर में कन्वर्ट करने के लिए भी किया जाता है।
इस लेयर में power plugs, connectors, receivers और cable type जैसे component शामिल है। इस लेयर में डिजिटल सिग्नल, इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल जाता है।
यह लेयर डिजिटल सिग्नल को एनालॉग बिट्स में कन्वर्ट करती है। इसमें ‘नेटवर्क की topology यानी नेटवर्क के स्ट्रक्चर‘ का कार्य होता है।
इस लेयर में hub और repeater जैसे network device होते है जो फिजिकल लेयर को काम करने में मदद करते है। इस लेयर के कुछ उदहारण – ethernet cables और token ring network है।
Function of Physical Layer in Hindi – फिजिकल लेयर के कार्य
इसके कार्य नीचे दिए गये हैं:-
1- यह लेयर data rate को मेन्टेन करके रखती है।
2- यह लेयर physical medium और interface decision की सुविधा प्रदान करती है।
3- यह लेयर दो प्रकार के configuration (point to point configuration और multipoint configuration) प्रदान करती है।
4- यह system और transmission medium के बीच एक interface प्रदान करती है।
5- यह लेयर सभी physical connection को स्थापित करने में मदद करती है।
6- यह Switching mechanism प्रदान करती है जिसकी मदद से data packet को एक पोर्ट से दुसरे पोर्ट तक forward किया जाता है।
7- यह लेयर signal के प्रकार को determine (निर्धारित) करती है।
8- यह लेयर नेटवर्क डिवाइस को एक क्रम में organize करने में मदद करती है।
9- यह transmission mode को परिभाषित करती है।
Features of Physical Layer in Hindi – फिजिकल लेयर की विशेषताएं
1- physical layer डेटा को बाइनरी भाषा (0 और 1) के रूप में एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में transfer करती है।
2- यह लेयर डेटा को ट्रांसफर करने के लिए wire और wireless दोनों तकनीक का प्रयोग कर सकती है।
3- यह लेयर नेटवर्क से जुड़े सभी devices जैसे (Computer, laptop, printer, scanner) के साथ कनेक्शन को स्थापित (establishe) करती है।
4- इस लेयर में Hubs और Ethernet जैसे devices का प्रयोग किया जाता है।
5- इस लेयर में डेटा bits की फॉर्म में होता है।
फिजिकल लेयर में Transmission Medium के Modes
इसमें transmission medium के तीन modes होते हैं:-
1- Simplex mode
इस mode में दो devices में से केवल एक ही device डेटा को ट्रांसफर कर सकता है। दूसरा डिवाइस केवल डेटा को प्राप्र्त कर सकता है। उदहारण के लिए (keyboards, monitors, TV broadcasting, Radio broadcasting) आदि।
2- Half Duplex mode
इस mode में दोनों devices डेटा भेज और प्राप्त कर सकते है। उदहारण के लिए (Walkie-Talkie, Railway Track) आदि।
3- Full-Duplex mode
इस mode में भी दोनों डिवाइस डेटा भेज और प्राप्त कर सकते है। उदहारण के लिए (Telephone System, Chatting applications) आदि।
Types of Physical Topology in Hindi – फिजिकल टोपोलॉजी के प्रकार
इसमें चार प्रकार की physical topology होती है:-
1- Mesh Topology
यह एक नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसका उपयोग wireless network के लिए किया जाता है। इस टोपोलॉजी में सभी devices एक दुसरे से जुड़े होते है।
mesh topology में devices एक channel के द्वारा आपस में जुड़े होते है। इस टोपोलॉजी में devices को कनेक्ट करने के लिए coaxy cable और twisted cable का प्रयोग किया जाता है।
इस टोपोलॉजी के कनेक्शन को स्थापित (establish) करना आसान है। इस टोपोलॉजी के set up में ज्यादा खर्चा आता है। इस टोपोलॉजी के प्रत्येक nodes के बिच point-to-point कनेक्शन होता है।
इस टोपोलॉजी में switches और hubs जैसे डिवाइस शामिल होते है। इसमें दो devices डायरेक्ट एक दुसरे से संचार (communication) कर सकते है।
इस टोपोलॉजी में डेटा को आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और इसमें host computer की जरूरत नहीं पड़ती। मेश टोपोलॉजी दो तरह की होती है full mesh और partial mesh .
2- Star Topology
यह एक नेटवर्क टोपोलॉजी है जिसमे प्रत्येक डिवाइस एक central hub से कनेक्ट होता है। यह एक लोकप्रिय टोपोलॉजी है जिसका उपयोग Airports, Hospitals, Banks, और Educational Institutes में किया जाता है।
इस टोपोलॉजी में devices को आपस में कनेक्ट करने के लिए RJ-45 और coaxial cable का उपयोग किया जाता है। इस टोपोलॉजी का set up करना काफी आसान है।
इस टोपोलॉजी में central hub को client, server, और network के साथ जोड़ने के लिए Patch cable का प्रयोग किया जाता है।
इस टोपोलॉजी में सभी डिवाइस central hub से कनेक्ट होते है, यदि किसी कारण सेंट्रल हब में खराबी आती है तो सभी डिवाइस disconnect हो जायेंगे।
स्टार टोपोलॉजी में जो central hub होता है वह सर्वर की तरह काम करता है और जो डिवाइस होते हैं वह client की तरह काम करते हैं।
स्टार टोपोलॉजी का स्ट्रक्चर star (तारो) की तरह होता है। इस टोपोलॉजी का उपयोग LAN (Local Area Network) में किया जाता है।
इस टोपोलॉजी में यदि एक डिवाइस दुसरे डिवाइस को डाटा भेजना चाहता है तो उसे पहले central hub को डेटा ट्रांसफर करना पड़ेगा, इसके बाद central hub डेटा को दुसरे डिवाइस में डेटा ट्रांसफर कर देगा।
सरल शब्दो में कहे तो central hub एक medium की तरह काम करता है। स्टार टोपोलॉजी को स्टार नेटवर्क के नाम से भी जाना जाता है।
इस टोपोलॉजी में unlimited devices को कनेक्ट किया जा सकता है , हालांकि ऐसा करने से इसकी स्पीड कम हो जाएगी।
3- Bus Topology
यह एक नेटवर्क setup है जहा पर प्रत्येक devices एक single cable के साथ कनेक्ट होते है। बस टोपोलॉजी को horizontal topology के नाम से भी जाना जाता है।
यह टोपोलॉजी coaxial cable और RJ-45 network cable का उपयोग करके devices को आपस में कनेक्ट करती है। यह टोपोलॉजी devices के साथ direct संचार (communication) करता है।
इस टोपोलॉजी में डेटा एक ही direction में travel करता है। इस टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड drop cable के माध्यम से backbone cable से connect होता है।
इस टोपोलॉजी का उपयोग 802.3 (ethernet) और 802.4 standard networks में किया जाता है। दुसरे टोपोलॉजी की तुलना में बस टोपोलॉजी में configuration करना आसान है।
इस टोपोलॉजी की सबसे आसान विधि CSMA (Carrier Sense Multiple Access) है। इस टोपोलॉजी का उपयोग ज्यादतर छोटे नेटवर्क में किया जाता है।
4- Ring Topology
यह एक network architecture है जिसमें सभी devices एक ring के आकार में एक दूसरे से कनेक्ट होते हैं। इस टोपोलॉजी का स्ट्रक्चर ring की तरह होता है।
इस टोपोलॉजी में प्रत्येक device दो devices के साथ कनेक्ट होता है और एक circular path का निर्माण करते है।
इस टोपोलॉजी में डाटा एक ही direction में travel करता है जिसे हम unidirectional भी कहते है। इस टोपोलॉजी का कोई end नहीं है क्योकि इसमें प्रत्येक डिवाइस एक दुसरे के साथ जुड़ा होता है।
इस टोपोलॉजी का उपयोग LAN (Local Area Network) और WAN (Wide Area Network) में किया जाता है।
यह टोपोलॉजी devices को आपस में कनेक्ट करने के लिए coaxial cable और RJ-45 network cable का उपयोग करती है।
bus topology की तुलना में यह अधिक efficient होता है। रिंग टोपोलॉजी को perform करने के लिए किसी central hub की ज़रूरत नहीं पड़ती।
दूसरी टोपोलॉजी की तुलना में इसे install करना आसान है। रिंग टोपोलॉजी में यदि किसी node में खराबी आ जाती है तो यह सभी nodes को effect करेगा जिससे पूरा कनेक्शन disconnect हो सकता है।
इस टोपोलॉजी में repeater का उपयोग किया जाता है ताकि डेटा को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचे।
Exam में पूछे जाने वाले सवाल
फिजिकल लेयर OSI मॉडल की सबसे निचली लेयर है. इसे layer 1 भी कहा जाता है.
इसका कार्य data को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर ट्रांसफर करना, और टोपोलॉजी को डिफाइन करने का होता है.
Reference:- https://www.geeksforgeeks.org/physical-layer-in-osi-model/
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